ब्रह्मपुराण भाग - 2 | Brahm Puran Bhag - 2
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
503
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
जन्म:-
20 सितंबर 1911, आँवल खेड़ा , आगरा, संयुक्त प्रांत, ब्रिटिश भारत (वर्तमान उत्तर प्रदेश, भारत)
मृत्यु :-
2 जून 1990 (आयु 78 वर्ष) , हरिद्वार, भारत
अन्य नाम :-
श्री राम मत, गुरुदेव, वेदमूर्ति, आचार्य, युग ऋषि, तपोनिष्ठ, गुरुजी
आचार्य श्रीराम शर्मा जी को अखिल विश्व गायत्री परिवार (AWGP) के संस्थापक और संरक्षक के रूप में जाना जाता है |
गृहनगर :- आंवल खेड़ा , आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत
पत्नी :- भगवती देवी शर्मा
श्रीराम शर्मा (20 सितंबर 1911– 2 जून 1990) एक समाज सुधारक, एक दार्शनिक, और "ऑल वर्ल्ड गायत्री परिवार" के संस्थापक थे, जिसका मुख्यालय शांतिकुंज, हरिद्वार, भारत में है। उन्हें गायत्री प
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)6 ४.
ऐसी यथार्थ घटनाएँ लिखी भी जाय तो वे न बहुत आकर्षक
होगी और न॒शिक्षाप्रद। यथार्थ घटनाओं से अभीष्ट उपदेश
दे सकमा व आदर्श उपस्थिति कर सकना शायद ही कभी
सम्भव होता है। इस लिये कथाकार उन घटनाओ को आव-
दयकता अनुसार घटा-बढा कर अथवा काल्पनिक कहानी रच
कर इस उद्दे इय की पूर्ति करते हैं ।
“ब्रह्म पुराण” मे गोदावरी की जो महिमा बतलाई है वह
ठीक ही है। अब तक करोडो व्यक्ति उसके प्रति श्रद्धा-भक्ति
रख कर सुफल प्राप्त कर चुंके हैं। इस दृष्टि से जो स्थिति गद्धा
और नमंदा की है, वही आन्ध्र और महाराष्ट्र के एक बडे भाग
मे गोदावरी की है। और किसी भी बडी नदी से जनता का जो
छपकार हांता है, जीवन रक्षा के लिये खादय-सामग्री उत्पन्न
करने भे जो सहयोग मिलता है, उसके कारण उसके प्रति पूज्य
भाव रखना उचित ही है। विदेशों के निवासी भी जो देवी*
देवताओ में हमारी तरह विश्वास नही रखते अपनी प्रमुख
सरिताओ के प्रति ऐसी ही पूज्य भावना रखते है, जर्मनी के
निवासी अपनी राइन नदी को अत्यन्त पूज्य दृष्टि से देखते हैं
ओर अपने राष्ट्रीय गीत मे बडे उत्साह से गाते हैं ' हे राहन,
है पावन राहन तू जमंन राहन मेरी ।” रोम के निवासी भी
“टढाइबर ” नदी को माता टाइबर ही कहते थे जेसे हम *गड्भा-
मेया” की जम जयकार करते हैं ।
इसलिये यदि 'ब्रह्म पुराण” के लेखक ने अपनी पूज्य
*गोदावरी” की महिमा को बढाने के लिये उसके चमत्कारो
की कथाएँ रच डाली तो इसमे हानि की क्या बात हुई ? आव-
इयकता इतनो ही है कि हम कुछ समभदारी से काम लें और
कथाओं के सम्बन्ध भे घाल की खांल निकालने के बजाय उनसे
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