ओम वाल्मीकिय रामायण | Om Valmiki Ramayan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
59 MB
कुल पष्ठ :
531
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)४ वाल्मीकीय-रामायणम्
मनस्वी ' ज्ञानसम्पन्नः शुचिवीयसमन्वित/ | [शश्ड,
१६] रक्षिता सबलोकस्य धमस्य परिरक्षिता ॥१७। [१३
१७पू] स्वेवेदाड्रविद्वेव“ सवेशास्रविशारदः ।* [१७पू
१८ पू] सर्वलोकप्रियः साधुरदीनात्मा बहुश्र॒ुतः ॥१८॥ . [*८पू
१८ उ] सवेदाइनुगतः सद्धि समुद्र इव सिन्धुभिः । [१७७
१९पृ] स सत्यश्व” समश्रेव सौम्यश्च प्रियदशेन॥ १९॥ [९१६७पू
१९७] राम: सवेशुणोपेत) कौसल्याउडनन्दवधेन! ।. [१६७
२०पू] समुद्र इव गाम्भीययें स्थे्यें च हिमवानिव ॥२०॥ [१७पू
२०४] विष्णुना सदशो वीयें सोमवत्रियदशन/ |. [ए७उ
२९पू] कालापिसद्शः कोपे' क्षमया पथिवीसमः ॥२१॥ [१८<पू
१. प्र-यशस्वी ।
२. प्र--झुचिवेश्यः समाधिसान् । ब रा र प भ ८--झलुचिर्वीये ० ।
३, प--अतः परमधिकः पाठः-अजापतिसमः श्रीमान् दातारिपरारसूदनः।
७. प--अतः परमधिकः पाठः---
स्वस्थ धर्मेस्य सर्वेश्न स्वजनस्य च रक्षिता ।
५. प्र--वेद्वेदाह्ञवि० । रा-सब्वेवेदाथेवि० |
६. त छ 2--अतः परमाधिकः पाठ:--
सर्वशास्थरथतत्वज्ञो मातेमान्* प्रातिभानवान |
प्र. सत्यवान् सर्वेसत्वज्ञो नीतिमान् प्रतिभाववात्र ।
७ जो रॉलल्न्सभ्यश्ल |
८. रा>>सदा च |
९. व त--स अन्यसमरः सोम्यः स चेकः प्रियद्नेनः ।
छुन स्र झुर खमर १३9 99 99 99
प्र प-- स सत्य: स समः सोम्यः स चेकः प्रियद्शैनः।
86«+ सर समभ्यरच सम: स्तुत्यः सोम्यश्च ग्रि० |
१०. के ज़ रा 5--सौम्यः ।
११. त--चैये चानुपमः सदा । छ-थैर्ये च मधवानलिव |
१२५. जरातल प्र पभ ट--क्रोघे ।
#रा प-नीतिमान् |
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