बिखरे तिनके | Bikhre Tinke

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Bikhre Tinke by अमृतलाल नागर - Amritlal Nagar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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डियरे दिनरे है। बिल्लू अपने कामों का जो फस पाये सो पाये, मैं भला कया कर सशता हैं । बाकी जो अभी छुटकन्नू ने झुद्दा है, उसे भी ध्यान में रखता 1 गुरसरन बाबू कैवल अपने जीवनोदे श्य की बिता कर रहे थे। उन्हें और कोई बित्ता नही थी ।




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