मेरी जर्मन यात्रा | Meri German Yatra

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Meri German Yatra by स्वामी सत्यदेव जी परिव्राजक - Swami Satyadev Jee Parivrajak

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about स्वामी सत्यदेव जी परिव्राजक - Swami Satyadev Jee Parivrajak

Add Infomation AboutSwami Satyadev Jee Parivrajak

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
&# याफ स्वतंत्रता फा घूसरा युद्ध फ्छ जी जज ज+ज++त 5-3 ++3+++-+त_तत> तन जिसका आशय यह ऐ-- पत्र आपका यहां मित्ता। मैं आाप्रदपू्षंक सम्मति देता हू कि आप इस समय फ्रानून भग न करें । इस घार को पाफर में मुसफराया । पंद्वित नेहरूसी फो मेगे हृदय के भावों फे विपय में स्या मादम, ये नहीं जानते थे कि मैंककैसा कट्टर असदयोगी हू भौर ऐसे फ़ानून फो यर्दाश्व करने की अपेक्षा मेरे लिए मरजाना अच्छा था। मैंने इस सार फे उत्तर में पंडित जी को लिखा--- ५ गा6 ६16 ते या 0६16२ 8900९ 18 शव 5867६ 1# टी89६8105 ६0 # 1707790 इसफा अर्थ यह है--- मेरे लिए वाफ्स्वसत्रता फा आदर्श ऐसा ही पपित्र है जैसा फि एफ ख्री फे लिए सतीत्य घमे । रेप र् जप र् युद्ध फा दिन निकट आने लगा | शहर के लोग बरावर झुक से मिजने और मेरी दशा देखने के लिये आते थे | कई सज्जनों ने मेरी हआंशों फी सराय हालत पेख कर मुझे सत्याग्रह फरने से रोकना चघाद्या। सरकारी अस्पताल फ्रे बड़े डाफ्टर महाशय एफ दिन मुझ से मिल्तने के लिये झाए और मेरी कसा की दशा देख फर वीलें-- “आप फ्रानून मग न करे 17? मैंने पूका--/क्यों न भंग करू १” १५




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now