सियार पांडे | Siyar Pandey
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
99
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सियार पाँदे
उनके जीवन भर कोई दुघेटना न घटी । ,किन्तु
मुझे दुनिया का छुछ अनुभव नहीं था, इस
लिये उनके मरने के थोडे द्वी दिन बाद एक
कायड खडा द्वो गया। मैं जिस खंदौर में
रहता था, उसी के निकट एक गाल्ली थी।
उस गाछी में एक बन्द्र रहता था | बन्दर का
एक छोटा-सा बच्चा था । एक दिन वह बचा
उसे न मिला । बन्दर बन्द्रो दोनों घब्राये ।
इस गाछ पर खोजा उस थाछ्ध पर खोजा, इस
मुंरमुट में देखा उस मुरमुट में देखा । बचे का
कही पता न चला । गाछ की ऊँची डाली पर
चदफर किचिर-मिचिर करके जोर से पुकारा,
किन्तु बच्चे की आवाज कही से न आई । अन्त
में चन दोनों ने निश्चय किया कि द्वो न हो मैं
ही उनके बच्चे को खा गया हूँ। सुनते हैं, बन्द्री
ने मुझे उस बे के पीछे पीछे घूमते हुए देखा
भी था । यदी नहीं, शायद मेरी सोंध के निकट
रख बच्चे को पूछ की हड्डी भी पाई गई थी।
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