शिशु हित शिक्षा भाग 1 | 1119 Shishu Hit Shiksha Bhag 1

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1119 Shishu Hit Shiksha Bhag 1 by महाश्वेता देवी - Mahashveta Deviश्री जैन श्वेताम्बर - Shri Jain Shvetambar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्प १६ २० ( २१ ) अठारमें वोले दृष्टि ३ तौन--- सम्यकदृष्टि १ सित्थ्या दृष्टि २ समसित्थ्या दृष्टि ३ उगणोससें वोले ध्यान ४ च्यार-- आतेध्यान १ रौद्रध्यान २ धमध्यान ३ शाक्क ध्यान ४ बौसमें वोले षटद्रव्य को जाण पणो धर्मास्तिकायने पांचां वोला ओलखोजे-- द्रव्ययकी एक ट्रव्य, खेब्र थो लोक प्रमाण, कालथको आदि अन्त रहित. भाव थो भरुपो ग़ुणयको जोव पुद्कल ने हालवा, चालवा को सहाय, अधर्मास्तिकाय नें पांचा बोलां ओल- खोजे--द्रव्य थो एक द्रव्य, खेब्र थो लोक प्रमाणे कालथको आदि अन्त रहित भाव थो अरूपो गुण थो थिर रहवा नों सहाय, आकाशास्तिकाय नें प्रांच बोल करो ओलखोजे--ट्रव्य थो एक द्रव्य, खेत थो लोक अलोक प्रमाण, काल थो आदि अन्त रहित, भाव थी अरूपो, गुण थो भाजन गुण, काल नें पांचां वोलां भोलखोजे--ट्रव्य थे। अनन्त द्रव्य, चेबर थो अढ़ाई दौप प्रमाणे, काल थी आदि भअन्त रहित, भाव थी अरुपो, गुण थी वत्त- मान गण पुह्लस्तिकाय ने पांच वोल थो ओल-




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