माया दर्पण | Maya Darpan

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Maya Darpan by श्री कान्त - Shri Kant

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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स्त्रों के साथ सोने को इच्छा लिये हुए जीवन से मृत्यु की ओर चला जाता हूँ। ( फिर छिपाकर अपना मुँह ) भंगदड में घुभकर अपने को पेरो पर सौप भागती हुई समस्त दुनिया के साथ (एक क्षणिक) आत्मीयता । ( ने रुकता हुआ दिन ! न सकती हुई अपने आदर को टकसाल जो फेंक रहो है ४ बाहर घर स निकल कर १९




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