जहांगीर नामा | Jahangir Nama
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
32.96 MB
कुल पष्ठ :
802
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)॥ण्यो॥
जहांगोर बादशाइके तखूत पर बेठनेसे पद्चिलिका हाल
जबकि वच्च शादइजादा सलोंम, सुल्तान सलोम
भर बादशाह सलोम ककइषलाता था ।
जह्ांगोर बादशाह १७ रवीउलगभव्वल सन ८.०७ छिजरी वुधवार
(आखिन बढ़ी ५ संवत् ९६२६) को सोकरोसे शेख सलो म चिश्तोके
घर पेदा झा था। उसका नाम इसी प्रसंगसे शाह सलोम ,रखा
गया था । अकबर वादशाद्ने आगरेसें यह सज़लससमाचार सुनकर
बहुतसा धन लुटाया और जितने कैदी किले और शद्रमें थे उन
सबको छोड दिया । फिर सोकरोमें शहर बसाकर फतइपुर नाम
“रखा और उसे राजधानी बनाकर आप भी वहां रइने लगा ।
जब शाह्त सलौमकौ उमर ४ वर्ष < सच्ौनेकी इई. तो बादशाइ
ने २४ रब, सन ८.८३ (अगहन बढ़ी ११ संवत १६३०) को उसे
पढने बिठाया । उसका अतालोक पहले कुतुबमोइस्पदखां अंगा
आर फिर सिरजाखां:खासखानां रहा ।
सन «८५ में वादशाइने उमको ९० हजारो, ९१० इजार सवार
का सनसब-दिया जिससे बडा उस वक्त कोई पद. नहीं,था । जब
उसकी उमर १४ वर्षकों हुई तो < «३ (१६४२) में पच्षिला. व्याद
राजा झगवन्तदासकी बेटीसे टूसरा; सन्, «४.४ (संवत १९६४३) में
उटयसिंझको लड़कौसे, तौसरा जेनखां कोकेके चचा खा जाइसनकौ
वेटोसे और चीधा केशव मारूको लडकौसे हुआा। ,
पह्लों वेगससे पह्िले सुलतान निसार बेगस और फिर २४
असरदाद- सन ८९५ (स्ावण सुदो ९३ संवत्- १६४४) को सुलतान
खुसरो पदा मा । न ः
तौसरो -बेगससे -१४-आबान सन ८४७ (कार्तिक सुद़ी ४ संवब्
१६४६) को सुलतान परवेज-जनसा। , ._ व:
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