स्वर्ण किरण | Svarn Kiran
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
197
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)स्वर सकरफू
साइन ेभामात+ बरसात
जग; प्रच्छाय गुहाओं में ,
वाष्पों के गज भरते नव गजेन ,
चंचल विद्युत् लेखाएं थीं
लिपट दूगों से जातीं तत्क्षण !
ताराओों के साथ सहज
शशव स्वप्नों से भर जाता मन ,
उठते थे तुम अंदर में
सोन्दर्य स्वप्न श्रृगों पर मोहन !
मेघों वी छाया के संग संग
हरित घाटियाँ चलतीं प्रतिक्षण ,
वन के भीतर चित्र तितलियों का
उड़ता
फूलों का सा बन !
रंग रंग के उपलों पर रणमण
उछल उत्स करते कल गायन ,
भरनों के स्वर जम से जाते
रजत हिमानी सूत्रों में घन !
रे
भीम विज्ञाल शिलाओं का
वह मौन हृदय में अब तक अंकित
फेनों के जल स्तंभों से वे
निर्भर रभस [वेग से मुखरित
चीड़ों के तर बन का तम
साँसें भरता मन में आंदोलित
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