श्री प्रश्नोत्तररत्नचिन्तामणी और अठारह दूषणनिवारक | Shri Prashnottar Ratn Chintamani Aur Atharah Dooshananiwarak
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
22 MB
कुल पष्ठ :
484
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)४
हुए हो, गिर जाने नीचे हीं दया हरे गे हे अथवा (हें बढ़ाये हु
शो आर आपात केया, जुगारी, चोर, कार कौए रहो हे पैसेंपर छोड़कर
अरे पहोसमें रहना. पढ़ोश्ी प्ेवृधु हो शो स्ोत्तम समता, अन्यमंताहम्मीके
पहोससें उनके आचार विध्यार अपने घु्त जाते है, वो बहुत अ्;उठनेपर भी
हे दर नहीं हो सत्ते है और बहुत करें अनेक परपवंधनमों पहना पहला है,
९ भति गुप्त स्थानों नही रहता. रहने गुणिपुरुपक्ों दान देनेका अब
नई मिद्ता है. और आग प्रमुख भय बच्त जानमाह बचानेक्ा मुक्किए हो पता है
१० अति प्रकट खातों भी नहीं रहना, रहोेतें दी वो पे पढारसें,उला-
पयोदा नहीं सपाठ समता है. और दखानेड आगे सोर गुहठ मर रहा हो हो
सिर पित्त काये नहीं हो सकता है,
१६ तत्पर थानि गुणों एकपक्ा तमागम करना. एनि महाराज, देगगुड मत्तिकारक
भावक् और प्रगाणिक गृहस्थोंकी साथद्ी विशेष परिचय रखना. विध्यालीका पंग
नहीं करना, करने अपनी पमंदृद्धि नह हो जाती है, सु्ग्से बुद्धि अच्छी होती है
उनेक सदावरण देखकर अपनेकोमी सदादरण ग्रहण करनेका अबबरात् मिछठता है.
जुगारी, हुवे घोर, विशनासपाति, ठग बगर! की सोबत करने वैसे भौच हल के
रनेढ़ा ररादा सही होता है वास्त बसें अधर्मीयोंका उंग छोड़ देना»
१९ माता पिताकी आशा सना, उनको पूलनेवाड़े होता, होगा आता काहमें
उनका पंदन करना, परदेशम जानेंके और विदेश अनेक वक्त भी विनय
घरणपूतर करा, जो दृद्ध हुई हो तो उनकी खाने पीने ओर पहलने ओोहनेकी
पृक्ति पुगव तगवीज रखने क्रो ब्त गुस््सा नहीं करता. कहुबेचनका उपयोग
नहीं करना, उनके अदिशका उहुंधन नहीं करना, कमी गैरब्याजपी नहीं करने योग
पाप बतहा दे। गे मोनहृत्ति पर छेनी, अयोग्य काये करनेसे गैरफायद़े रोते हैं उत्ा
विनय यान करे समझ देंगेका प्रयत करना उनका अपनेपर अवर्नीय उपर है,
प्रादाने नो महिने तक (दरमें रखकर-बोज। वहकनर अपने हिये अनेक पेदनायें सहन की
हैं, विद्या मृजादि मीन दत्तोते अपना बेखेर पश्नाहन कया है. फ़िर जब अपन
रोगास्त हुऐे हो तब वो पंख, पयाप्त पहन कर अनेक उपचार करे अपना शुद्धि
में पहंग करती है, इसके उपरांत परोक्ष रो उसके पास जहमवाह निरतरही
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