पालि - महाव्याकरण | Pali - Mahavyakaran

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Pali - Mahavyakaran by भिक्षु जगदीश काश्यप - Bhikshu Jagdish Kashyap

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about भिक्षु जगदीश काश्यप - Bhikshu Jagdish Kashyap

Add Infomation AboutBhikshu Jagdish Kashyap

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
“ उन्नीस - केन्द्र (इंगलेण्ड) बाहर नहीं होता, तो निश्चय है कि अंगरेज़ी भाषा का रूप आज बिल्कुल दूसरा ही हो गया होता। वेदिक भाषा का केन्द्र कही बाहर नही, किन्तु यही था; इसलिए इस भाषा पर यहाँ की मूल भाषा का प्रभाव अत्यन्त अधिक पड़ा होगा, जिससे इसमें इतनी विभिन्नता आ गई। जब बाहर से भारतवर्ष में मुसलमान आए और यही रहने लगे, तो उनकी भाषा ओर यहाँ की भाषा मिल कर एक तीसरी भाषा 'उदू का जन्म हुआ। यदि वही लोग इस देश में बसु न जा कर, अपने देश ही से यहाँ का शासन करते, तो एक नई भाषा उर्द' का जन्म न हो कर, उनकी भाषा फ़ारसी ही में संस्कृत के कुछ शब्द आरा कर रह जाते, जसा अ्रगरेजी में हुआ । उच्चारण में परिवर्तन उसी तरह, जब आये लोग यहाँ बाहर से श्राए और यहीं वस गए, तो वैदिक भाषा और यहाँ की मूल भाषाओं के मिलने से कई छोटी मोटी भाषाझ्रों की उत्पत्ति हुईं। श्रा्य लोग विजयी, और यहाँ वाले विजित थे; इसलिए, इन भापाशओं में प्राधान्य वैदिक भाषा का ही रहा। यहाँ वाले वेदिक भाषा के क्लिप्ट शब्दों को सरल तथा मुलायम करके बोलने लगे। अग्नि का अग्गि', रहिम' का रंसि', भार्या' का भरिया, कृत्य! का किच्च,, सिह का सीह॑, ब्याप्र का ब्यग्घ, संस्थान! का संठान' आदि आदि रूप हो गए। यह विकास किन्‍्हीं ख़ास नियमों के आधार पर नहीं हुआ। जहाँ जिनको जेसा सरल प्रतीत हुआा बोलते गए। वैदिक भाषा के शब्द किस तरह बदल कर बोले जाने लगे उसके कुछ उदा- हरण नीचे दिए जाते हें। १. ऋ' कहीं-कही अर कर दिया गया। जेसे:-- कृतं--कतं। घृतं--घतं। ऋक्ष:--अच्छी। नृत्यं--नच्चें। २. ऋ' कहीं-कहीं इ' कर दिया गया। जेसे:-- ऋषणं---इणं। क्ृत्यं--किच्चे। दुष्टं--दिद््‌ठं। ३. ऋ' कहीं-कही उ' कर दिया गया। जंसे:-- ऋतु--उतु। ऋजु--उजु। वृष्टि--बुद्धि |




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now