नित्य - पाठ - दीपिका | Nitya - Path - Deepika

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हे छे2 # हितीयाढत्ति पर दोशब्द । पालक 3 सर्वे सच्चिदानंद पूर्णेत्रह्म पुरुषोत्तम श्री सदृशुरू देव की असीम ऊंपा से “नित्य-पाठ-दीपिका' की यह द्वितीयावृत्ति प्रकाशित होरही है । प्रथमावृत्ति को भावुक भक्तों ने बड़े प्रेम से पढ़ा-पढाया और एक दूसरे के पास देखकर अन्य देश-निवासित भाईयों ने इसे मगा २ पढ़ा और कितने ही पूज्यपाद श्रद्धेय गएयमान्य विद्वान भक्त खुहद सज्लञनों ने सहालुभूति सूचक पत्नादि भी भेजे जिसके लिये उन सब महालुभावों को धन्यवाद है। इस बार ओर भी अनेकानेक सन्त महात्माओं के ग्न्थ- रलो में से धन्यवाद पूवेक अवतरण यत्र तत्न दिये गये है आशा है कि जिशासु भाईयों को उपयोगी च्रिदित होगे । अच- तरशु के नीचे अन्थों के नाम तो दिये हैं. पर कितनेक रह भी गये हैं तदर्थ क्षमा प्रार्थना है। तो भी सवशार्लों का पठन-पाठन चुत उपयोगी समझा गया है ओर इसीलिये शास्त्रों में कह्दा गया है किः--- सच्छारआाव्धस्तं मित्र, पीत्वा पीत्वा पुनः पुन. । दीघे संसार रोगस्य, हानि रत्वा खुखी भव ॥१॥ ( १२ )




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