सचित्र श्रीमद्वाल्मी की रामायण | Shrimadvalmiki Ramayana Ayodhya Kand
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
600
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भ्रयोध्यकांरड-पूर्वार
की
विपकसूची
प्रयम सर्ग १-१५
ननिद्वात्र में भरत प्रोर शब॒ुप्त | थोरामचन्ध जो के गुों
का वर्णन । धोराप्चद्र जो के युवराजपद् पर प्रभिषिक
करने की मद्वाराज दृशरप की श्रमित्ञापा। तदसुसार
समस्त राजाध्रों के अ्रयेध्या में बुलवाना |
दूसरा स्ग १५-२९
मद्ाराज़ दशरथ का दखवार । मंत्रियों के साथ महाराज
दृशरथ का परामर्श तथा मद्वाराज के प्रद्ताव का मंत्रियों
द्वारा प्रनुमेदित एवं थ्रीयमचन्ध जी को प्रशंता |
तीसरा सर्ग २९-४०
कुलगुस वशिठ्ठ जी फी प्रनुमति के श्नुत्तार अ्रभिषेक
की तैयारियों करने के लिये महाराज दशरथ का प्रपने
मंत्रियों को भआाए देना । सुमंत्र का भीराप्रचन्द्र जी की महा-
राज दृशरप के मदल में जित्रा लाना और मद्दाराज से मित्र
कर ध्रोामचन्ध जी का अपने भवन के लौट जाना |
चौथा सगे ४०-५१
मद्वाराज दशरथ को थाज्ञा से छुमूंत्र का आकर पुनः
धीरामचद्ध जी का लिवा लाना। महाराज दशरथ का
धोरामचन्द्र जो के प्रति दुःस््वप्त का वृत्तान्त कहना। वहाँ
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