सचित्र श्रीमद्वाल्मी की रामायण | Shrimadvalmiki Ramayana Ayodhya Kand

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Shrimadvalmiki Ramayana Ayodhya Kand by चतुर्वेदी द्वारकाप्रसाद शर्मा - Chaturvedi Dwarkaprasad Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भ्रयोध्यकांरड-पूर्वार की विपकसूची प्रयम सर्ग १-१५ ननिद्वात्र में भरत प्रोर शब॒ुप्त | थोरामचन्ध जो के गुों का वर्णन । धोराप्चद्र जो के युवराजपद्‌ पर प्रभिषिक करने की मद्वाराज दृशरप की श्रमित्ञापा। तदसुसार समस्त राजाध्रों के अ्रयेध्या में बुलवाना | दूसरा स्ग १५-२९ मद्ाराज़ दशरथ का दखवार । मंत्रियों के साथ महाराज दृशरथ का परामर्श तथा मद्वाराज के प्रद्ताव का मंत्रियों द्वारा प्रनुमेदित एवं थ्रीयमचन्ध जी को प्रशंता | तीसरा सर्ग २९-४० कुलगुस वशिठ्ठ जी फी प्रनुमति के श्नुत्तार अ्रभिषेक की तैयारियों करने के लिये महाराज दशरथ का प्रपने मंत्रियों को भआाए देना । सुमंत्र का भीराप्रचन्द्र जी की महा- राज दृशरप के मदल में जित्रा लाना और मद्दाराज से मित्र कर ध्रोामचन्ध जी का अपने भवन के लौट जाना | चौथा सगे ४०-५१ मद्वाराज दशरथ को थाज्ञा से छुमूंत्र का आकर पुनः धीरामचद्ध जी का लिवा लाना। महाराज दशरथ का धोरामचन्द्र जो के प्रति दुःस्‍्वप्त का वृत्तान्त कहना। वहाँ




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