वायु पुराण खण्ड 1 | Vayu Purana Khand 1

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Vayu Purana Khand 1  by श्रीराम शर्मा आचार्य - Shreeram Sharma Acharya

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

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जन्म:-

20 सितंबर 1911, आँवल खेड़ा , आगरा, संयुक्त प्रांत, ब्रिटिश भारत (वर्तमान उत्तर प्रदेश, भारत)

मृत्यु :-

2 जून 1990 (आयु 78 वर्ष) , हरिद्वार, भारत

अन्य नाम :-

श्री राम मत, गुरुदेव, वेदमूर्ति, आचार्य, युग ऋषि, तपोनिष्ठ, गुरुजी

आचार्य श्रीराम शर्मा जी को अखिल विश्व गायत्री परिवार (AWGP) के संस्थापक और संरक्षक के रूप में जाना जाता है |

गृहनगर :- आंवल खेड़ा , आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत

पत्नी :- भगवती देवी शर्मा

श्रीराम शर्मा (20 सितंबर 1911– 2 जून 1990) एक समाज सुधारक, एक दार्शनिक, और "ऑल वर्ल्ड गायत्री परिवार" के संस्थापक थे, जिसका मुख्यालय शांतिकुंज, हरिद्वार, भारत में है। उन्हें गायत्री प

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मूमिका [भारतीय पुराण-साहित्य अपने ढद्भ बी अनोखी रचना है। ससार के क्न्य प्राचीत देशो--जैसे यूनान, ईरान आदि में भी कुछ ग्रन्य ऐसे पाये जाते हैं, जिनको वहाँ का पुराण कहा जाता है, पर वे प्रायः वीर लोगो के अद्भुत साहस तथा भयंकर सक्टो का सामता करके कोई महत्वपूर्ण वायें सिद्ध करने वी क्यायें-मात हैं। पर भारतीय पुराणों का मुख्य उद्देश्य साधारण जब- समाज में घामिक भावों का सचार करना है। यद्यपि उनमे भी सत्य, बढ़ा सत्य और कात्यनिक क्थायें हैं, स्पक, अलकार और अतिश्योक्तियों का भी बाहुल्य है, पर लेखको का लक्ष्य लोगों को सर्देव ध्मं-प्रेरथा देने का द्वी रहा है। यह ठीक है कि उनत्ी अतिशयोक्तियाँ अनेक स्थानों पर सीमा को पार कर जाती हैं, उन्होंने असम्भव कल्पनायें भी की हैं, जनेक जगह परस्पर विरोषी बातें भी लिख दी हैं, पर इस सबका उद्देंश्य यही है कि मनुप्यो के हृदय में घ्मं के प्रति रुचि उत्पन्त हो और चाहे सासारिक सुखों के लालच से ही महू, वे धर्माचरण को अपनावें । उनता टिद्धान्त है कि जो पर्मं का पालन करेगा उम्रकी रक्षा भी धर्म करेगा | ससार में जितनी उन्नति, उत्कर्ष, कल्याण है वह सब धर्म पर ही आधारित है । इसलिए लोगो को विसी भी प्रकार से धर्म की प्रेरणा देना शुम कर्मे ही माना जायगा 1 जन-साधारण को घर्म-प्रेरणा-- पुराणों के मुख्य विषय सर्य (सृष्टि रचना) प्रलय, मन्वन्तदर ओर युगों का वर्णन, देव, ऋषि तथा राजाओं के बच्चों का वर्णत कहा गया है। पर इनका विस्तार करते हुए मोक्ष-विरूषण, भगवत भजन, देवोपासता को भी , उनमे सम्मिलित किया और प्रत्येक क्या, आख्यान, उपाख्यान, ग्रायामें एक यही हृष्टि-विन्दु रक़खा है कि लोगों को घम के प्रति आकर्षण हो और ये क्पदी बुढि, शक्ति, रुचि के अनुसार न्यूवाघिक अश्यो में घामिकता को तरफ भंग्रसर हों । हो सकता है कि जिन लोगों ने अपने घर्म-विपयक विचाद बहुत ऊंचे हया तर्क और बुद्धिवाद की कसौटी पर खरे उतरने वाले बता रा्ले हैं, 7 केफता शप्कछ इशोेदपानः ।




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