हिन्दू आचार दर्शन | Hindu Achar Darshan

Hindu Achar Darshan by देवनाथ सहाय - Devnath Sahaya

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about देवनाथ सहाय - Devnath Sahaya

Add Infomation AboutDevnath Sahaya

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
* जता उन्दें द्िक्षा देखे ही क्यों । बदपि भीता सें देव को भी कुरठ सहप्न अवरभ दिया गयां है, फिर यह नहीं कहा गया हैं कि वही सब कुछ है। इसके घिल्द् गीता सें यह स्पष्ट बाब्दों से कहां गया है कि मथुप्य रनयं ही अपना च्छर करने वार] डे | उद्धरेदात्सनात्सान . , चात्स ।नसनसादू येतू । आत्मंवद्मात्मचों बन्युरात्मंव रिपुरात्मन: | [ अ० के बछो० ५ | -.. बर्थौत मनुष्य को चादिये कि अपने क्लास ही अपना उद्धार करे और जपनी खाव्मा को अधघोरगति में न पहुँचा वेद क्योंकि, यह जीवाव्मा आप ट्टी अपनों मित्र है और आप ही अपना शु । रूपर के शोक से पुसुपकॉर को सइप्व रेप है। ड्ा० राघक्तिन्यन ने दिन्दू जीवन देशन में देव और उरुषकार के वास्तनिक रूप को बलरूाये टुए छिला है “जिन्दगी के खेर के पते में दिये जाये है, हम उन्हें चुनते नहीं 1 , वे दमारे सदीत कर्म के फरूस्वरूप हसें मिलते है। किन्तु हम कया जोउे इमारी जाठ कया हो, यद हमारी इच्छा पर हैं । दमरी जीत और दर हमारे खेक पर ही नि्मर करती है और यददी सव्तन्ता है” ।” 3८८ अद्ि .... ', मजुष्य के कार्य दो प्रकार के होते हैं, ऐच्छिक सौर अमिच्छिक | गनैच्छिक क्रिया चद है जो स्वत चचाछित होती हैं तथा , जिखके लिये हम कोई ेतन अयास नहीं करना पढुता । चर्फुत णवो क्रियाओं में ट्न्छ का खवैया जभाव रहता हैं । अनेष्छिक क्रियाएँ, सुख्थता निश्नखिखित अगर की होती हैं ः १... पा लघक्ते8 बा के छुधा6 0 हि धा6. टुपए8ा 90 पह, . कै त0 ण0+फ 88 फिएहाए, पफिह्छु छाए० फिकए8ें. $ह0 0पा फु889 पएका08, छपा भ6 08. 08] 8.5 न 9168:56, 1680. भा पा का सात, छत व 58 6 फछक्वप 6 छुधाए, 0 1086... पाए णिएहा'6 18 दि860001,*' [ फ+, ऊच्तेपघालडॉपाकाा :पफुफा6ननिषतिएं भा 0 कर्ता, तप




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now