आदिम युग और अन्य नाटक | Admi-yug Our Anya Natk

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Admi-yug Our Anya Natk by उदयशंकर भट्ट - Udayshankar Bhatt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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-पफता दृश्य का उठी को पठल्ली रस्सी से बनि हुए तथा मिट्टो छ॑ सने हुए सुभड़ पैर । स्त्री पुस्थ को गाय पश्ड़ड़र शाते देख अमरो मृग की तरफ देखतों हुए भी रुमलियों से पुर्य को देम्बती रइठी है। उसकी श्राखों में मगर, जिहासा, फुमूइक का माव मर जाता है| स्त्री को देखकर पुरुष ध्मे पहले प्रमिमान, फिर भ्राश्थम, फिर उत्सुकता होतो है। बह अपमे शरौर को देखकर नारी के झंगों क्रो देखता है। स्त्री मी उत्जुकता से श्रपने अंगा को देखकर पुरुष के श्रगों से झपना मिलान करती है। पुरुप मपटकर मुह से मरने का पामी पीने खगता है श्योर झपना ह्॑ग मी पानो के प्रतिगिरद में देखता है, फिर स्प्री की भ्रोर देखता है। उत्सुकता से फिर तमता करवे हुए पानी में ध्रपनी ध्वाया देखा है। सजी मी वहदी डिया करता | फिर पशुझा की झोर देखती है। एकाएक पुरुप दी झ्रोर बढठी है, फिर 7दर थातो है उया पास है मग $ समीप जाकर उसे शरीर पर द्वाय पेरती है | उठ प्रष॒स्था में भी उसदा ध्यान नर की श्रोर ही रएता है| हृधी बोच नर नारी के पास पग्राहर लड़ा हो थाता है झोर प्पान से नारी % झं) देखने कश्गता ६1 मंग प्रा झोज़ा नर को पास भागा आन मांगने क्षगता है | नारी सो पहले मुस्करा रद्दी थी सकुभ्रा जाती है | तथा ए+$ यूद $ तने से सटझर लड़ी हो थाती है भर नर डी औोर देखने छगतो है। मृग को जद॒ता देस्पकर उसे पमडने % लिए बढती है शोर भ्राक्ों से गो शे जाती है। भोड़ी देर मे मरने स॑ बूर यीरे पर दिलाई देती ६। नर इसी बीच पहले तो ठस्ते ६ दवा ६ फिर पकऊाएक “भरा 'झ्रा की श्राबाज करता है। स्त्री रीले पर स मुल्णती है। नर ठपर ही सरैंत करवा है। एक बड़ा पशु नारी बे धोर बढ़त है। नर उसे दैशपर्र द्वाथ स संरेत झोर मुंह से ५”? बरता ई | नारी मर ढ़ तंरेद में उनकी दलता दै। गइ कुछ सकपझाकर स्वम्प-दी रएए अतो है। बह पशु न री $ पास श्ाकर मुँह फू ड़ता है तर बह इर जाती है। पशु गुराध्र कप से नारी को दजोच छेता है। नाही (३ हैं! झरऐे उसे पीठ दरेशती है, पर नीचे एक दम इलान दोने के छरए ड्रिनारे पर




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