तीर्थंकर वर्द्धमान | Tirthankar Varddhaman
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
504
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ण ।
हावी रके जीवनुके फ्मिक विकासकी दुष्टिसे पहले भागकी सामग्री
इस प्रकार दी गई हूँ कि गर्भसे छेकर मोक्ष तककी पुरी झाकी पाठकों
को मिल जाती है 1 इसी तरह प्रवचनोका भी उन्होंने इस ढगसे ऋम
और विभाजन किया हुं कि कोई भी प्रावश्यक विपय नहीं छूटने
पाया हू ।
लेखककी योजना विशद् है । इस मालाम वह कई पुस्तक निका-
लनेके अभिलापी हूँ 1 पहला खण्ड तो पाठकोके सामने हूँ ही। दूसरे
खण्डमें वह महावीर के जोवन-प्रसग रोचक झौर सजोव ढगसे देना
चाहते हूं । तोसरे खण्डमे महावौर, बुद्ध और गाधोका तुलनात्मक
अध्ययन उपस्थित करना चाहते है | वुद्ध श्रीर महावीर तो समकाछोन
थे और जिस प्रकार महावीरने लोक-जीवनके आध्यात्मिक ह्तरको
ऊचा उठानेका प्रयत्न किया, उसी प्रकार बुद्धने भी अपने ढगसे उस
दिय्ञाप्रे महान् कार्य किया । गाघीजी यद्यपि उस युगके नही हैँ तथापि
उन्दोंने अपने जीवनकालम जिन सिद्धान्तोंका प्रतिपादन किया वे उसी
यूगकी एक अ्रदूट कड़ी हैँ । मानलवकी पावनताके साथ-साथ गाधोजीने
राजवीतिमें भो धर्मं-तीतिका प्रवेश करानेका जो भगीरथ प्रयत्न किया,
हैं उनकी भारतको ही नहीं, समूचे विश्वको एक महान् देन हूं ।
इसमे वह महावीरसे भी एक कदम आगे बढ गये दिखाई देते हे ।
उनकी सप्त महाद्रतोको व्याख्या भी गजवकी चीज हूं ।
निदचय ही यह हम सवका परम सौभाग्य हूं कि इस घरा पर
हावीरका अवत्तरण हुआ । महापुरुष सहस्नों दपॉर्मे एक चार पैदा
होते है, हेकिन जब पेदा होते है तो सस्तारको घन्य कर जाते हे ।
भगवान् महावीर ऐसे ही महापुरुष थे । अपनी कठोर तपश्चर्या और
हान् व्यक्तित्वसे उन्होने विश्वके समक्ष एक ऐसा कल्याणकारी मार्भे
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