ब्रह्मसूत्र शांकर भाष्य रत्नप्रभा | Bramhasutra Shankar Bhasya Ratna Prabha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
20 MB
कुल पष्ठ :
774
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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विपय पृष्ठ पहूक्ति
वायादिल्यापिकरण ४/९/७।१५ [प० २४२८-२४१३०]
७म्र अधिकरणका सार य्ड हर «०. २४२८-४६
सूतन्न--तानि परे तथा ह्याह ४२७१५ डर नस २४२९ - १
ब्रह्मतत्तवेत्ताकी इन्द्रियाँ परमात्मामें छोन होती हैं «०. २४२९-०९
आधषिभागाधिकरण ७२।८।१६ [० २४३१-२०११]
८स अधिकरणका सार हल बह २४३१ - ६
सूत्र--अविभागो वचनात् ४२८१६ धर हे २४३१ - १७
अविद्याजन्य कलाओोॉंका विछ॒य परमात्मामें निरवशेप छोता है २४३२ - ६
हदोकोअघिकरण 91१९॥१७ [ए० १४३१३१-२४१७]
९प्त अधिकरणका सार बे न कर २४३३ - १३
सूध--तदोकोभ्रज्वऊन तल्काशितद्वारो * ४४२1९1१७ न २४३४ - १
सार्गके उपक्रमका प्रसाण द्वारा निरूषण...... »«. २४३५-७
विद्वान मूर्धन्य नाडीसे दी निष्कमण करता है... »». २४३७-३
रहम्याधिकरण 21९1१०)१८ १९ [० १४३८-२४४१]
१०स अधिकरणका सार #«« नह न्ब्न २४३८ - ६
सूनच्र--२इस्यनुखारी ४४२1१०1१८ का ६४३८ - १५
संशयपू्ेक सामान्यतः रब्म्थनुसारित्वका प्रतिपादन ०. २४३९-२
सूत्र--निशि नेति चेन्न० ४२।१०1१९ बे हल २४४० - १
रात्रिमें भी रश्मिका सम्बन्ध है बहन «०. २४४१-१२
दाक्षिणयनाधिकरण ४(९।१ १1२०-२१ [६० ,९२४४३१--१४४८]
पु कक छ
११वें भधिकरणका सार नह छडका... 9 8] २४४३ - १३
सूत्र--अतखायनरेडप़ि दक्षिण ४४३)३१॥३० हे न २४४४ - १
दक्षिणायनमें मरनेपर भी विद्वान मोक्ष प्राप्त करता है... २४४४ - १५
भीष्म प्रशृतिका उत्तरायणप्रदीक्षण शिष्टाचारका प्रतिपालनम्रात्र
है और अपने पिवाजीके बरदानसे प्राप्त यधेष्ट मरणका बोघ
करानेके लिए है बेर «० -. »«.. २४४५-२
सूत्र--्योगिनः श्रति> ४शकवारव २४४६ - १३
प्रमाणके बछसे स्मृतिकाढके नियमकी भ्रुतिमें उपयोगिता नहीं है २४४७ - २
अऋतुर्थ अध्यायफे लतीयपादका आरम्भ. ««« “+. २४४९-०१
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