ब्रह्मसूत्र शांकर भाष्य रत्नप्रभा | Bramhasutra Shankar Bhasya Ratna Prabha

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Bramhasutra Shankar Bhasya Ratna Prabha  by कृष्ण पन्त शास्त्री - Krishn Pant Shastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ रहे ] विपय पृष्ठ पहूक्ति वायादिल्यापिकरण ४/९/७।१५ [प० २४२८-२४१३०] ७म्र अधिकरणका सार य्ड हर «०. २४२८-४६ सूतन्न--तानि परे तथा ह्याह ४२७१५ डर नस २४२९ - १ ब्रह्मतत्तवेत्ताकी इन्द्रियाँ परमात्मामें छोन होती हैं «०. २४२९-०९ आधषिभागाधिकरण ७२।८।१६ [० २४३१-२०११] ८स अधिकरणका सार हल बह २४३१ - ६ सूत्र--अविभागो वचनात्‌ ४२८१६ धर हे २४३१ - १७ अविद्याजन्य कलाओोॉंका विछ॒य परमात्मामें निरवशेप छोता है २४३२ - ६ हदोकोअघिकरण 91१९॥१७ [ए० १४३१३१-२४१७] ९प्त अधिकरणका सार बे न कर २४३३ - १३ सूध--तदोकोभ्रज्वऊन तल्काशितद्वारो * ४४२1९1१७ न २४३४ - १ सार्गके उपक्रमका प्रसाण द्वारा निरूषण...... »«. २४३५-७ विद्वान मूर्धन्य नाडीसे दी निष्कमण करता है... »». २४३७-३ रहम्याधिकरण 21९1१०)१८ १९ [० १४३८-२४४१] १०स अधिकरणका सार #«« नह न्ब्न २४३८ - ६ सूनच्र--२इस्यनुखारी ४४२1१०1१८ का ६४३८ - १५ संशयपू्ेक सामान्यतः रब्म्थनुसारित्वका प्रतिपादन ०. २४३९-२ सूत्र--निशि नेति चेन्न० ४२।१०1१९ बे हल २४४० - १ रात्रिमें भी रश्मिका सम्बन्ध है बहन «०. २४४१-१२ दाक्षिणयनाधिकरण ४(९।१ १1२०-२१ [६० ,९२४४३१--१४४८] पु कक छ ११वें भधिकरणका सार नह छडका... 9 8] २४४३ - १३ सूत्र--अतखायनरेडप़ि दक्षिण ४४३)३१॥३० हे न २४४४ - १ दक्षिणायनमें मरनेपर भी विद्वान मोक्ष प्राप्त करता है... २४४४ - १५ भीष्म प्रशृतिका उत्तरायणप्रदीक्षण शिष्टाचारका प्रतिपालनम्रात्र है और अपने पिवाजीके बरदानसे प्राप्त यधेष्ट मरणका बोघ करानेके लिए है बेर «० -. »«.. २४४५-२ सूत्र--्योगिनः श्रति> ४शकवारव २४४६ - १३ प्रमाणके बछसे स्मृतिकाढके नियमकी भ्रुतिमें उपयोगिता नहीं है २४४७ - २ अऋतुर्थ अध्यायफे लतीयपादका आरम्भ. ««« “+. २४४९-०१




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