स्कन्द पुराण खण्ड 1 | Skand Puran Khand 1
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
509
श्रेणी :
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जन्म:-
20 सितंबर 1911, आँवल खेड़ा , आगरा, संयुक्त प्रांत, ब्रिटिश भारत (वर्तमान उत्तर प्रदेश, भारत)
मृत्यु :-
2 जून 1990 (आयु 78 वर्ष) , हरिद्वार, भारत
अन्य नाम :-
श्री राम मत, गुरुदेव, वेदमूर्ति, आचार्य, युग ऋषि, तपोनिष्ठ, गुरुजी
आचार्य श्रीराम शर्मा जी को अखिल विश्व गायत्री परिवार (AWGP) के संस्थापक और संरक्षक के रूप में जाना जाता है |
गृहनगर :- आंवल खेड़ा , आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत
पत्नी :- भगवती देवी शर्मा
श्रीराम शर्मा (20 सितंबर 1911– 2 जून 1990) एक समाज सुधारक, एक दार्शनिक, और "ऑल वर्ल्ड गायत्री परिवार" के संस्थापक थे, जिसका मुख्यालय शांतिकुंज, हरिद्वार, भारत में है। उन्हें गायत्री प
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( २६ )
तस्मात् त्वमपि देवेशि राम माम सदा बद ।
रा नाम जपेद्यो व॑ मुच्यते सवा क्ल्विप ॥
« “राम! इन दो प्रक्षरोको जप समपत पापोको नष्ट बर्ने वाली «
है । चलते-फिरते, बेठे हुए, लेटे हुए राम का जप करते रहने से मनुष्य»
निश्चय हो भव-ब-चनों से छुटफारा पा कर भगवान का साब्निध्य प्रात
कर लेता है| यह दो भ्रक्षरो का 'रामांँ नाम मन्त्र ब्रोड़ों मन््त्रो बी
्रपेक्षा दाक्तिशाली है | यह सभी प्रकृति वालों के लिए पाप नाशक कहा
गया है ] इस प्ंसार में राम-नाम से वढ़ कर पढ़ने लाथक प्लोर कोई
वम्तु नही है । जो केवल इस नाम का प्रवलम्बन लेता हैं उप्तको यम-
यातमा कद्दापि सहन नहीं करनी पड़तो | सभो प्रकार के दोष, बिष्न,
विग्रह, विनाक्ष करने वाले कारणा राम-नमाम के प्रभाव से दूर हो जाते
हैं । तमरत प्राशियों में चाहे वे स्थोदर हो या जजूम, श्लोराम हो प्रस्त-
रात्मा वे रूप में उपस्यित रहते हैं 'व्रीराम' का नाम तो मन्धराज है,
जिससे संसार का प्रत्येक मय प्ोर ब्याधि नष्ट हो सकठी है । यह मन्त-
राज सब तरह के संघर्पों मे विजय प्राप्त कराने वाला भौर समात क्रार्यों
में (मद्धि प्रदात करने वाला है | इसे समस्त तीर्थो' का फल प्रदान करते
बाला कहा गया दै | पह विधे के लिए भी समस्त कामनाग्रो का पूरा
करने याला होता है । जिस सम्प मुख से “श्रोरामचन्द्र श्रीराम! इन
दाब्दों का उच्चारण दिया जाता है, तो तत्काल सब मनोर्थ पूरे हो जाते
है। इसलिए है देवी (पार्यतीओो) भाष भी “क्रोराम' के शुभ नाम का
उच्चारण किया करो, इससे समध््त पाप, दोष निश्चय ही दुर हो जाते
हैं ।!
शिवा नाम फो सहिमा--
राम-माम षी महिमा सुन इर नंम्ियारएय के सुनियों ने शिव
नाम धो गहिपा बणंत बरने की प्राययना गो तो मूवजी बहने लेगे --
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