सुबोध संस्कृत व्याकरण | Subodh Sanskrit Vayakaran

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रंजन सबन्धि श्३ परन्तु सम्राट '्ोर साम्राव्य सें थ पते 'नुस्वार नद्दीं होता । ९. अपदान्त न घोर मू को वर्गों के चौथे, तीसरे. दूसरे. 'मौर दले झक्र या श्‌ . प्‌ . स , दद परे होने पर झनुस्वार दो जाता है । यशान+नि >> यशा।स 1 '्ाकम्‌ज-स्पदे न 'घानस्यते 1 ९३. 'झपदान्त 'घजुस्वार से पर यदि फिसी चरग का कोई 'अझच्र प्रथवा यू , लू , यू ; में से कोई झक्षर दो तो झनुस्वार को उस अच्षर गा सबर्य 'झमुनासिक दो जाता दूं । यदि 'झनुस्वार पदान्त हो तो अनु- गसिफक विकल्प से दोता दूं । ( अजुस्वारस्य ययि परसवर्ण: ) घपदान्त ) झन + कितः स घर + कितः न घटित: । छुनू+दितः कु 4 ठिदः न कुश्टित । शामू+तः न शां उतः नशान्तः । /पदान्त) व्वभू+ करोपिनत्वेद करोपि न्नत्वट्रोपि या त्ं करोपि । पूवमू+ सावन पूर्व +-तावन्‌ « पूर्वन्तावनू या पूर्वे तावन्‌ 1 फलमू+ चिनोति “फल + चिनोति « फलब्चिनोति या फल चिनोति । १४. यदि पदान्त न से परे च . छ...ट.ठ.्तथ्योर्थसें से कोई अक्षर हो झौर उनके चाद यदि कोई स्वर. हू. य र्‌्.्ल या कसा वग का पादवा बक्षर हा ता न का झनुस्वार श्वार सह ज्ञाना है , (नंश्ट्ुन्य प्रशान दे कास्मसन -चित उ स्मर्न > नड़ागे न खस्निस्तडागे । तक पदन्ति हु. णण न क पहल यदि हस्व स्वर हा शोर पर भी कोइ स्वस्हो नो हे. था. से को दित्व हो जाना हैं ग्रस्यड भी चारमा न प्रस्यड डानमा सुगखु + इशः > सुगरसाश एक्ट समन + अहान से एक न्मन्नदनि पाए




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