सुबोध संस्कृत व्याकरण | Subodh Sanskrit Vayakaran
श्रेणी : भाषा / Language
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.21 MB
कुल पष्ठ :
284
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रंजन सबन्धि श्३
परन्तु सम्राट '्ोर साम्राव्य सें थ पते 'नुस्वार नद्दीं होता ।
९. अपदान्त न घोर मू को वर्गों के चौथे, तीसरे. दूसरे. 'मौर
दले झक्र या श् . प् . स , दद परे होने पर झनुस्वार दो जाता है ।
यशान+नि >> यशा।स 1
'्ाकम्ज-स्पदे न 'घानस्यते 1
९३. 'झपदान्त 'घजुस्वार से पर यदि फिसी चरग का कोई 'अझच्र
प्रथवा यू , लू , यू ; में से कोई झक्षर दो तो झनुस्वार को उस अच्षर
गा सबर्य 'झमुनासिक दो जाता दूं । यदि 'झनुस्वार पदान्त हो तो अनु-
गसिफक विकल्प से दोता दूं । ( अजुस्वारस्य ययि परसवर्ण: )
घपदान्त ) झन + कितः स घर + कितः न घटित: ।
छुनू+दितः कु 4 ठिदः न कुश्टित ।
शामू+तः न शां उतः नशान्तः ।
/पदान्त) व्वभू+ करोपिनत्वेद करोपि न्नत्वट्रोपि या त्ं करोपि ।
पूवमू+ सावन पूर्व +-तावन् « पूर्वन्तावनू या पूर्वे तावन् 1
फलमू+ चिनोति “फल + चिनोति « फलब्चिनोति या फल चिनोति ।
१४. यदि पदान्त न से परे च . छ...ट.ठ.्तथ्योर्थसें से
कोई अक्षर हो झौर उनके चाद यदि कोई स्वर. हू. य र््.्ल
या कसा वग का पादवा बक्षर हा ता न का झनुस्वार श्वार सह
ज्ञाना है , (नंश्ट्ुन्य प्रशान दे
कास्मसन -चित
उ स्मर्न > नड़ागे न खस्निस्तडागे ।
तक पदन्ति हु. णण न क पहल यदि हस्व स्वर हा शोर पर भी
कोइ स्वस्हो नो हे. था. से को दित्व हो जाना हैं
ग्रस्यड भी चारमा न प्रस्यड डानमा
सुगखु + इशः > सुगरसाश
एक्ट समन + अहान से एक न्मन्नदनि
पाए
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