सखाराम वाइन्दर तेंडुलकर | Sakharam Baendar Tendulkar

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Sakharam Baendar Tendulkar by विजय तेंडुलकर - Vijay Tendulkar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सवाराम बाइन्डर $ आग चाहिए 1 २७ अन्दर जञातः है--उसे तस्वीर के सामने बंठी हुई देखता है । बह चौंकती है । उठकर चूल्हे के पास जाती है। + खाना सात बजे मिलना चाहिए मुझे । जोघरी की बार रोटी और साथ मे हरा मिरचा । लहसुन की चटनी उधर किसी डिब्बे में होगी। मिरचा डलिया में है। भौर जोघरी का भाटा उस बडे वाले डिब्बे मे । बह एक थाली मे रखकर आय देती है । + ऐसे नही चिलम की आग दी जाती । $ इसमे दिया करो । कफिमारे पडो हुई पुरानी पूपदानों उठाता 1 बह देतो है ॥ + तुम्हे भात खाने की आदत हो तो बना लेना । चावल होगे धर में । पहली वाली खाया करती थी 1 खोज कर देखो । दाल भी होगी | मैं भात नहीं खाता । बह चुपचाप सुन लेती है। सलाराम ठिठक कर एक नजर उसे देखता है फिर आग लेकर बाहर आ जाता है । वह खाना बनाने को तंयारी में जुट णाती है ॥ एक आरतोदानी मिलतो है उसे उठाकर तस्वीरों के सामने रण देती है ? बाहर दूर पर कहीं मविर का घष्टा बजता है यह उस दिश्या से नमस्कार करती है । याहुर के फमरे से सलाराम




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