श्रीमद्वाल्मीकि रामायण अरण्यकाण्ड 4 | Shrimadvalmiki Ramayan Aranyakand-4
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
73 MB
कुल पष्ठ :
619
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रथम सग ह।
स्माणर्या द्वारा श्रीरामचन्द्र जी का शातिथ्य शोर अपने
कार्श क1 तगान किया जाना ।
दूसरा संग
कल
के
9-१ ४
वन भें प्रवेश करने पर श्रीरामचन्द्रादि द्वारा बारदणशन
+राध का देखा जाना | विराध द्वारा सीता के हरे जाने
पर श्रारामनन्द्र जा का लक्ष्मण के साथ संयाद |
तीसरा सग १ ४--२०
श्रीरामचन्द्र ओर विराध की शआापस में बातचीत शोर
परस्पर मात्मपरिचय | श्रीरामचन्द्र ओर लक्ष्मण के! कंधे
पर बिठा कर विराध का वन की आर भागना |
चोथ। सगे २०--२९
विराध द्वारा श्रोरामचन्द्र घर लक्ष्मण का हरा जाना
देख सोता का सेना चिल्लाना। श्रीरामचद्ध और नम
के हाथ से मारे जाने पर विशध का प्रवदछए प्राप्त करना
घोर शभ्रीरामचन्द्र जी का विराध का शरभक् मुनि के ध्ाश्रम
का हात बतलाना शध्योर विराध के प्राथनानुसार श्रीराम-
चन्द्र द्वारा विराध के स्तणरीर का गढ़ें में गादा ज्ञाना ।
पाँचवां सग २९-३८
सीता और लक्त्मण को साथ लिये हुए श्रीरामचन्द्र जी
का शग्भह मुनि के प्राश्नम में प्रवेश। श्रीगमचस्द्र जी का
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