ध्वनि और संगीत | Dhawani Aur Sangeet

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Dhawani Aur Sangeet by ललितकिशोर सिंह - Lalitkishor Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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तरंग और वंग श्५ ससधनता की दशा ३ से ६ तक पहुँचती है । अब तीसरी परक्तिका पहछीके साथ दसनेपर माटूम होगा कि ० और ३ के बीचक अणु एशन्ट्सरेसे दुर-दूरपर हू । इस प्रकार यहाँ 'विरछता/ पैदा हो गया ह 1 चोयी पवितर्स सघनता' ६ से ९ तक पहुँची हू और 'विरलता ० से ६ तब । पाचवी पकियमें सघनता ९ सर १३ हक और विरल्ता हे से ९ तक फल गयी है । इस अक्र ० के एक पूरे कम्पनम सधनंता १२ तक पहुँच ययो और अणु १२ अब ठीक ० की दाम कम्पस आरम्म करनवों तथार है। इससे आंग्र ० दूमरो सघनता और १२ अपना पहली सघनता पटा करगा $ पाँचवी पक्तिस यह स्पष्ट हू कि सघनताक पाछ विरलता लगा रहती हूं । इस एक सघनता और एक विरल्ताको मिल्यकर एवं अनुलर्ध्ध तरय मानों जाती ह--ठोक उसी प्रकार जैसे एक उमार और एक खाल मिलकर एक अनुप्रस्थ तरग बनती हू ! यदि सघनताकी मात्राकों उभारसे और विरल्ताकी मात्राको साल्स प्रकट करें ता दाना प्रक्ारक्ी तरगें एक हो सप रू ऐती हू । इसलिए अनुदेध्य तरग नी आ० १० क वक़्त हो प्रकट की जा सकती हू। यहाँपर एक सघनता आर एक विरखतात यायकी दूरी ता वरगमान हागी और पहली पकित ( जा० ११) को अप्ला अच्तिम सधनता जितनो अधिक होगी वहों तरभ विस्तार होगी । अनुप्रस्य तरगको तरह ही, अयर तरगमान माल्म हो और अणुआाकी आवृत्ति मोम हा ता अनुःध्य तरगका क्य भी निहशाला जा सकता हू । १७ बनुच्छेट ११ मं आवत्तिका सम्बंध वस्तुक आवकार-प्रवारदे साथ टिखामा गया ह और यहा आवृत्तिका सम्बब तरगवग और तरग मानक साथ टिखाया गया है । विचार क्रनेपर पता चलेशा कि इन दोना बातें काई भेट नो है ॥ उदाहरणक लिए त्तारका आहउत्तिकों लें । यह्‌ बताया जा चुका ह कि तारको आवृत्ति उसकी रूम्दाई, खिचान और तौड- पर विभर हू । मश हम्बाईका सम्बंध तरगमानस ह और खिंचाव श्र छोलका सम्बय तरगबगस हू । दिचाव जितना अधिक और सौरू जितना डे




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