ध्वनि और संगीत | Dhvani Or Sangeet

Dhvani Or Sangeet by ललितकिशोर सिंह - Lalitkishor Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ध्वनि भौर संगीत १२--श्रागे कुछ मुख्य-मुख्य वस्ठुओंकी आवृत्तिका उनके भिनुभूभिर भौतिक गुणोंके साथ सम्बन्ध दिखाया जाता है--... हु (१) तारः-- तारकी श्रावृत्तिके सम्बन्धम मर्सनेने नीचे दिये हुए नियम निकाले हैं- (क) आवृत्ति तारकी लबाईकी व्युतक्रम ( उल्लटा ) अनुपाती होती है। अर्थात्‌ तारको दूना लंबा कर देनेसे आवत्ति आधी हो जाती है । ( पायथागोरसने इस सम्बन्धका आविष्कार किया था 3 | (ख) यदि लंबाई बराबर रखें श्र खिंचावका बल बढ़ावे तो कम्पनकी त्रावृत्ति इस ब्लके वर्गमूलके श्नुपातसे बढ़ती है । काठके पर्देपर बैठाई हुई दो तिकोनी घोड़ियॉपर तार फैला दे और उसके एक छोरसे १ सेरका बाट लटका दे तो तार तन जायगा ( श्रा० ६ ) । इस तारको छेड़नेपर एक निश्चित आवृत्तिकी व्वनि निकलेगी । अब यदि एक सेरके बदले चार सेरका बाट लटकावे तो तारकी आकृति ६ आवृत्ति दूनी हो जायगी । .. (ग) लगाई श्र खिंचाव समान रहे तो श्रावृत्ि तारके भारके वर्गमूलकी व्युतक्रम अनुपाती होती है । श्रर्थात्‌ कुल तारका भार चौगुना हो जाय तो आइत्ति आ्राधी हो जायगी यहाँपर यह ध्यानमें रहना चाहिए कि तारका भार दो तरह से बढ़ सकता है-एक तो तारकी मोटाई बढ़नेसे दुसरे तारकी धाठुका घनत्व अधिक होनेसे । जेसे वरावर लघाई मोटाई श्र सिंचावके लोदे श्र पीतलके गा की आवृत्ति ज्यादा होगी क्योंकि लोहा पीतलसे हलका ताहै। 93) 22222 ्ध्ध््््च्ध््््ट्ध््प्स्




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