समाज कार्य परिभाषा कोष | Samaj Karya Paribhasha Kosh
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.85 MB
कुल पष्ठ :
198
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अपन छोड विश्लेषण किसी घटना वस्तु अथवा प्रत्ययं के विभिन्न घटकों या गुणों का सम्यक प्रकार से झरध्ययन करने की वैज्ञानिक पदघ्॑ति । शशकडड ए। पिकाइलि लाटल झन्यारोपण बिश्लेषण बहू प्रत्रिया जिसके श्रन्तर्गत सेवार्थी की अन्य परिस्थितियों से सवन्धित भावमायें स्वाभाविक रूप से प्रतिस्थापित होकर वैयक्तिक कार्येकर्ता के सामने झमिंव्यक्त होती हूं । फींज झलेकूजेंगडर श्रौर हेलेन रास के भ्नुसार प्रतिरथापन बन्द का एफ ब्यापक अरे होता है तथा इसके अन्तर्गत भावनाग्ों का एक व्यर्वित से विस्यापित होकर ट्रसरे व्यमिन में प्रतिस्थापित होने की श्रावधारणा ही नहीं श्रात्तो वरन् रोगी द्वारा उपचारकर्तो के प्रति व्यवत की गयी समस्त तर्कहीन श्रतिक्रिंपायें भी झाती हैं । अप्यफत एप[5ग्र€ कामोपशामक कोई भी श्रोपधि श्रयवां खाद्य पदार्थ जिसका सेवन काम वासना के दमन भरयवा न्यूनीकरण के लिए किया जाता है 1 शए0एप0 भप्रतिमानता समाज की वह श्रवस्था जिसमें सामाजिक समूहों का ह्लास तथा सामाजिक संस्थाम्षों धर संबंधों में विघटन हो । अर्णाधरंदरवीपिड विरोध प्र तिदूवंदिवता दो शक्तियों वस्तुमों व्यकितयों श्रथवां समूहों का पारस्परिक विरोधी दिशा में कार्य करना या होना । अर्णीिशफिक विदुवेष ड्रमरें व्यक्ति मां समूह के प्रति दुवेप-माव रखने की सामाजिक मनोधृत्ति । शणीड्०टंडी फकुलबणानीपिफ संमाजविरोधी व्यवितत्व एक प्रकार का व्यक्तित्व विकार जिसके लक्षण हैं शी घन फुद्ध हो जानो श्रनु- भवों से लाभ उठा सकने की श्रसमर्थता और निर्नेतिक व्यवहार श्रादि । अतराटहि न डुश्चिंता किसी झांतररिव उद्दीपन से उत्पन्न दुखद और भयरमुलक रागात्मक श्रनुभव की दशा जिर्समें चेंतना का गुण दुखद श्रनुभव में चेतना के गण से अलग भौर किशिष्ट होता है ।
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