भारत का संगीत सिद्धान्त | Bharat Ka Sangeet Siddhant Granthmala-28
श्रेणी : संगीत / Music, साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10.39 MB
कुल पष्ठ :
382
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विस्तृत विषय-सूची
भूमिका न-न
प्रावककथन
अनुसन्धान की प्रेरणा--असूसन्घधान-सग्बन्धी समस्याएँ और निप्क्प
-म्ाचीन सज्जौतकास्त्र की दुर्बोधता और उसके कारण--प्रचलित
सज्जीत-पद्धतियों में रस-भाव के प्रति उदासीनता--अनुसन्धान के
अधार--प्राचीन सम्प्रदाय--भरत-सम्प्रदाय की नाट्य-शास्त्रगत विशे-
पताएँ--उपछलब्ध नाट्यशास्त्--भरत एवं आदि भरत--आदि नाट्य-
शास्त्र--भरत-सिद्धान्तो पर विदेशी श्रभाव ! --महर्षि भरत के स्वर
और आधुनिक भौतिक विज्ञान--म्रस्थ की शैली--कतज्ञता-ज्ञापन |. -ए१-४८-
प्रथम अध्याय
आप्त वाक्यो को हृदयज्जम करने के लिए विशेष दृष्टि--विद्या का
अधिकारी--ग्राम, स्वर, श्रुति--मण्डल-प्रस्तारो में पड्जग्राम एवं
मध्यमग्राम--नवतन्त्री पर षाडूजग्रामिक स्वरो की सिद्धि, नवतन्त्री पर
भरतोवत स्वर-व्यवस्था--मध्यमग्राम--सितार पर षाइजग्रामिक सप्तक
की सिद्धि--शरुतिनिद्न या श्रुतिदर्शन-विधान--भरतोवत चतुः सार-
णाएँ--लेखकनिर्मित यन्त्र श्रतिदर्पण' पर चतु सारणाओ की सरलतम
विधि--श्रुतियो के परिमाण--सप्तक में श्रृतियों का क्रम एव उसकी
महत्त्वपूर्ण विशवेपताएँ--श्रुतियो के विभिन्न परिमाणों के भेद में अन्तर
जानने की भारतीय विधि । नरैनरे देन
द्वितीय अध्याय
मूर्च्छंता की व्युत्पत्ति एवं लक्षण--मूच्छेना की चतुर्विधता के सम्बन्ध
में दो दुषप्टिकोण---ग्रामद्रय की मूच्छ॑ंनाओ का रूप--ग्रामहय-मूच्छेंना-
बोधक श्रुतिपरिमाणयुवत मण्डल-प्रस्तार--ग्रामदय-बोधक सारणी-
ताने--दौनों ग्रामो में अविलोपी स्वर--मूच्छेंनाओ का प्रयोजन, पूर्वा-
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