भारत का विधान (1950) | Bharat Ka Vidhan (1950)

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भारत के स्वाधीनता आंदोलन के अनेक पक्ष थे। हिंसा और अहिंसा के  साथ कुछ लोग देश तथा विदेश में पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से जन जागरण भी कर रहे थे। अंग्रेज इन सबको अपने लिए खतरनाक मानते थे।

26 सितम्बर, 1886 को खतौली (जिला मुजफ्फरनगर, उ.प्र.) में सुंदरलाल नामक एक तेजस्वी बालक ने जन्म लिया। खतौली में गंगा नहर के किनारे बिजली और सिंचाई विभाग के कर्मचारी रहते हैं। इनके पिता श्री तोताराम श्रीवास्तव उन दिनों वहां उच्च सरकारी पद पर थे। उनके परिवार में प्रायः सभी लोग अच्छी सरकारी नौकरियों में थे।

मुजफ्फरनगर से हाईस्कूल करने के बाद सुंदरलाल जी प्रयाग के प्रसिद्ध म्योर कालिज में पढ़ने गये। वहां क्रांतिकारियो

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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द्फ़ा 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 शा 36 39 40 4 किसी विशेश धर्म को बढ़ाने के छिये टेक्स देने के बारे में भाज़ादी दि कुछ ताछीमी संस्थाओं में धामिक शिक्षा या घार्मिक पूजा बन्दगी में हाज़िरी के बारे में आज़ादी कलचरी श्रौर तालीमी श्रधिकार कमीयतों के हितों की रक्षा बन कमोयतों को ताछीमी संस्थां. क़रायम करने और उनके प्रबन्ध करने का अधिकार जायदाद का श्रधिकार जायदाद का जबरन हासिल करना विधानी उपायों का श्रधिकार इस भाग में दिये अधिकारों पर अमछ कराने के लिये उपाय इस माग में दिये अधिकारों के फ़ौजों के लिये छागू ह्वाने पर उनमें भदल बदछ करने की राजपंचायत की दाक्ति ««* जब किसी हेत्र में फ़ोजी क्रानून छागू हो तो इस माग में दिये अधिकारों पर रुकावट इस भाग के बन्घानों को अमल में छाने के लिये क्ाबून बनाना ह०० भाग चार राज की नीति के निर्देशक प्िद्धात परिभाशा इस भाग में भाए सिद्धान्तों को छागू करना छोगों की खशहाली बढ़ाने के लिये राज का एक समाजी व्यवस्था को पक्का करना कर नीति के कुछ सिद्धान्त जिन पर राज चढेगा गाव-पंचायतों का संगठन काम, तालीम और कुछ सूरतों में सरकारी मदद पाने का अधिकार कर सफ्ा 15 19 15 15-16 16-11 17-16 16-19 20 20 20 20-21 21 ८




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