श्रेष्ठतम रुसी कहानियाँ | Shareshatam Rusi Kahaniya
श्रेणी : कहानियाँ / Stories, साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.57 MB
कुल पष्ठ :
330
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)थीं। इसके वाद के एक चित्र में युवक के नाश का दुश्य भ्रंकित था। वह फटा हुमा चोगा पहने या श्रौर सिर पर टेढ़ी टोपी रखे सुप्ररों का रेवड़ हांकता श्रीर उन्हों को संग्रत में भोजन करता दियाया गया था। उसके चेहरे से गहरी उदासी श्रौर पश्चाताप झलक रहा था। इस चित्ममाला के सब से श्रन्तिम चित्र में उसका अपने पिता के पास वापिस लोटने का दृश्य झंकित था । नेक दृद्ध इस चित्र में भी थही माइट-कंप श्र झसिंग-गाउन पहने था। झपने पुत्र से मिलने के लिए वह दाहर दोड़ा श्राया या पुत्र उसके पांवों पर पड़ा था पिछले हिस्से में स़ानसामां एक मोटे-ताये चदड़े को शिंवह कर रहा था श्रौर थड़ा भाई नोकरों से इन सब ख़शियों का कारण पूछ रहा था। प्रत्येक चित्र के नीचे जमेंन भाषा में विदय के सपयुत्त तुकदर्दियां अंकित यों । मेने उन्हें पढ़ा । वह सब भ्राज भी मेरी स्मृति में ताज़ा है। साय हो फूलों के गमतले रंग-दिरंगे परदे तथा श्रन्य चोले जो उस समप वहां मोजूद थीं मुझे नहीं भूली हूं। घर के मालिक का चित्र शझायु करीब पचास थे हृप्ट-पुष्ट ध्रोर प्रसन्न हरे रंग का लम्बा फ़ाक-कोट पहने रंग-उड़े फोतो से लटके तोन परकों से सुशोभित - ध्यान करते ही श्राज भी मेरी श्रांपों के श्रागे मू्ते हो उठता है। अपने यूद्ध कोचवान का हिसाव॑ चुकता किए शभ्रमी मुझे जरा भी देर नहीं हुई थी कि टर्या समोदार लिए श्रा मई। पृश
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