संस्कृत साहित्य की रुपरेखा | Sanskrit Sahitya Ki Rooprekha
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17.38 MB
कुल पष्ठ :
398
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about चंद्रशेखर पांडे - Chandrashekhar Pandey
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रामायण के प्रक्षित अंश ६ स्गर्ग का अधिकारी समझा जाने लगा१ । इसलिये रामायण के प्रथम संग्रहकर्ताओं तथा सम्पादकों के समक्ष जो कुछ भी रामायण के नाम से नर्दिप्ट सामग्रो अस्तुत की गई उसका उन्होंने स्वागत किया और उसे आलोचक की दृष्टि से नहीं अपितु भक्तिभावना- पक लिखित रूप दिया । यही कारण है कि रामायण के प्रक्षिपत एवं प्रक्िप्र अंशो को अलग करना उतना ही दुस्तर हे जितना नीर-क्षीर का प्रथकरण 1 यदि सम्पूण॑ सारववर्षप के प्रचलित पाठमेदों को छोड़ दिया जाय तो रामायण के मूल रूप का झलु- मान लगाया जा सकता है । ऐसा करने से रामायण के २४००० श्लोको में से केवल एक चौथाई शेष बच रहते हैं. । रामायण का समय--रासाण्ण के रचयिता वाल्मीकि राम के समकालीन थे शोर उन्होंने अपने प्रन्थ की रचना यम के रज्यकाल में ही कर ली थी । अतः रामायण का र्दनाकाल शोर राम का राज्यकाल इन दोनो का समय एक ही था । पार्जिटर महोदय ने चंशावलियों के आधार पर यह सिद्ध किया है कि राम-रादण चार कॉंस्च-पार्डव के युद्धों के बीच पॉच शतात्दियों का छन्तर था । उनके अनुसार मद्दाभारन युद्ध ११०० ई० पृ० से एप था बार इस प्रकार राम १६०० दे पू० सें हुए थे । वास्मोकि से इसी समय रामायण की रचना की । कई शताब्दियों तक गमायण कुशीलवों द्वारा माखिक रूप सें व्यवद्लत होती रही । इसका बत्तमान रूप सूझकाल (८००-६८० इ८ पू०) में झाकर लिपियद्ध शुष्या होगा स्योकि इसी समय के निकट परवर्ती अंथ- कार कोट भास सर पतंजलि समायण के मुख्य कथानक से ही बनाकर ्क् इधनदाए वर ही कद मीन पूर्ष हल का दू रमेश ट ड् इग्दद है उ रुप टू गम ् पृ हनन थी म रद पड और रमन टोससिविए ६ १५ प्पश्स्त मु जि श् है...
User Reviews
No Reviews | Add Yours...