जीव विज्ञान कक्षा - 11 | Jiv Vigyan Kaksha-11

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Jiv Vigyan Kaksha-11 by के. मुरलीधर आचार्य - K. Muralidhar Acharya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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द भ ज थ । र म हनन गे हक न जीप के द जीब्रं विंज्ञानं के 0१ [पर लग कम भुँ जे . गर्ग रो । पक । दा ध्दूठ # नर जा सु डर कर ज्ड 3 के कक दी + रा उ ता पक अर & मप्र न ( भी मा शो ् पे हे हू. पा श 1 न 01 दे श्1 हक ्८ का अ भ ही माटेना 2 मम हक न न 3-८ पं न द् | था न दर मिलन है | दल हनन हे. न के तन. जे जा दा मे दो न्माण द 1.2 जीव जगत में विविधता यदि आप अपने आस-पास देखें तो आप जीवों की बहुत सी किसमें देखेंगे ये किसमें गमले में उगने वाले. पौधे कीट पक्षी पालतू अथवा अन्य प्राणी व पौधे हो सकती हैं। बहुत से ऐसे जीव भी होते हैं जिन्हें आप आँखों की सहायता से नहीं देख सकते लेकिन आपके आस-पास ही हैं। यदि आप अपने अवलोकन के क्षेत्र को बढ़ाते हैं तो आपको विविधता की एक बहुत बड़ी श्रृंखला दिखाई पड़ेगी। स्पष्टत यदि आप किसी सघन वन में जाएं तो आपको जीवों की. बहुत बड़ी संख्या तथा उनकी कई किसमें दिखाई पढड़ेंगी। प्रत्येक प्रकार के पौधे जंतु अथवा जीव जो आप देखते हैं किसी एक जाति (स्पीशीज) .. का प्रतीक हैं। अब तक की ज्ञात तथा वर्णित स्पीशीज की संख्या लगभग 1.7 मिलियन से लेकर 1.8 मिलियन तक हो सकती है। हम इसे जैविक विविधता अथवा पृथ्वी पर स्थित जीवों की संख्या तथा प्रकार कहते हैं। हमें यह स्मरण रखना चाहिए कि जैसे-जैसे हम नए तथा यहां तक कि पुराने क्षेत्रों की खोज करते हें हमें नए-नए जीवों का पता लगता रहता है। जैसा कि ऊपर बताया गया है कि विश्व में कई मिलियन पौधे तथा प्राणी हैं। हम पौधों तथा प्राणियों को उनके स्शावीय नाम से जानते हैं। ये स्थानीय नाम॑ एक ही देश के बिभिन्‍न स्थान के अनुसार बदलते रहते हैं। यदि हमने कोई ऐसी विधि नहीं निकाली जिसके द्वारा हम किसी जीव के विषय में चर्चा कर सकें जो शायद इससे भ्रमकारी स्थिति पैदा हो सकती है। प्रत्येक जीव का एक मानक नाम होता है जिससे वह उसी नाम से सारे विश्व में जाना जाता है। इस प्रक्रिया को नाम-पद्धति कहते हैं। स्पष्टतं नाम-पद्धति तभी संभव है जब जीवों का वर्णन सही हो और हम यह जानते हों कि यह नाम किस जीव का है। इसे पहचानना कहते हैं। अध्ययन को सरल करने के लिए अनेकों वैज्ञानिकों ने प्रत्येक ज्ञात जीव को वैज्ञानिक नाम देने को प्रक्रिया बनाई है। इस प्रक्रिया को विश्व में सभीः जींव वैज्ञानिकों ने स्वीकार किया है। पौधों के लिए वैज्ञानिक नाम को आधार सर्वमान्य नियम तथा कसौटी है जिनको इंटरनेशनल कोड ऑफ बोटेनीकल नोमेनकलेचर (1087) में दिया गया है। आप पूछ . सकते हैं कि प्राणियों का नामकरण कैसे किया जाता है। प्राणी वर्गिकीविदों ने इंटरनेशनल कोड ऑफ जूलोजीकल. नोमेनकलेचर (1028) बनाया है। वैज्ञानिक नाम की यह गारंटी है कि प्रत्येक जीव का एक ही नाम रहे। किसी भी जीव के वर्णन से विश्व में किसी भी भाग में लोग एक ही नाम बता सके। वे यह भी सुनिश्चित करते हैं कि एक ही नाम किसी दूसरे झात॑ जीव का न हो। जीव विज्ञानी झात जीवों के वैज्ञानिक नाम देने के लिए सार्वजनिक मान्य नियमों का . पालन करते हैं। प्रत्येक नाम के दो घटक होते हैं बंशनाम तथा जाति संकेत परद। इस प्रणाली को जिसमें दो नाम के दो घटक होते हैं उसे ह्विपंदनाम पद्धति कहते हैं। इस नामकरण प्रणाली को कैरोलस लीनियस ने सुझाया था। इसका उपयोग सारे विश्व के जीवविज्ञानी करते हैं। दो शब्दों बाली नामकरण प्रणाली बहुत सुविधाजनक है। आओ




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