राजपूताने का इतिहास भाग - 1 | The History Of Rajputana -volume1

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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#उतिहास शब्द इति द आस इन तीन संस्क्रत शब्दों से बना हे और उसका मूल अथ ऐसा ही हुआ होता है । इसलिये सच्चा इतिहास बही गिना जाता है जिसमें वास्तव में सत्य ही घटनाओं का उत्लेख हो। कदाचित्‌ प्राचीन घटनाओं के विषय में सन्देह भी हो तब भी जहाँ तक हो सके छान बीन करके सब उपलब्ध साधनों से सिद्ध बातें हीं इतिहास में आनी चाहिये । इस कसौटी पर ख्यातें (ऐतिहासिक बहियें) छौर दन्त कथाएँ बहुधा नहीं कसी जा सकतीं अत उनके शोध में इतिहासवेत्ताओं को कठिनाई प्रतीत होती है । किसी देश या जाति के इतिहास की सच्ची घटनाओं का क्या महत्व है यह प्रायः शिक्षित समुदाय से छिपा नहीं है । अपने देश और घर की बात जानना अत्यन्त आवश्यक है । इससे राजा और प्रजा में श्यात्म गौग्च और देशभक्ति का संचार होता है। देश के भावी कर्त्ता धर्ता यानी बालकों की शिक्षा तो इतिहास- ज्ञान के बिना अधूरी ही रहती है । बहुधा देखा जाता है कि बतसान शिक्षा क्रम में विदेशी वीरों की कहानियाँ रखी जाती हैं । इससे लोग स्वदेश के श्रादर्श को भूलकर विदेशी रंग में रंग जाते हैं और उन्हीं के रहन सहन और पूर्वजों की कीर्ति के गीत अलापने लगते हैं । परिणाम इसका बड़ा भयछकुर होता है । स्वदेशी बीरों और सचरित्र पूव॑जों के क्ाय्य उनके देश और जाति के लिए अलौकिक आत्मोसग और स्वतन्त्रता की रक्षा के कारनामों की कथाएं हमारे छात्रों के लिए कितनी लाभकारी हो सकती है और उनके उच्च भावों से प्रेरित होकर वे कैसे-कैसे काम कर सकते हैं यह किसी भी समभदार व्यक्ति से छिपा नहीं । किसी अंग्रेज विद्वान ने अत्यन्त मार्मिक शब्दों में बतालायां है कि -- साई उड घिह दिकिडा निमेण घना डो00पात 06 ांए्हण 9५ 0पातिह्हत एए. 07067 ५ छिएशा फिहाए 62५5 धातत प्ाचतहा-इध्ति ताएए8 --०]8. इतिहास वह वस्तु है जो बच्चों के हाथ में सब से पहिले दी जानी चाहिए व इससे उनके क्रोमल हृदयों पर देश प्रेम और बास्तबिक बुद्धि की मुद्दर लग जाती है । ं इतिहास की महिमा




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