सतसई - सप्तक | Satsai - Saptak

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मेड ( अर. ) बह हृदय पर उतना दी अधिक भी प्रभाव डालेगी । यही संचेप में सूक्ति के गुण हैं का मु, . हम कह चुके हैं कि प्रस्तुत संभह्द में तुनसी-सतसई धार बंद- _ लतसई सूक्ति सतसंइयां के अंतगत आती हैं |. तुललनी-सतश्ई कट ..... गासाई' तुलसीदासजी के फुटकर दोहों का संग्रह गोसाइजी ... ...; की शिष्य-परंपरा में उनका जन्म-संबव १५५४ माना जाता है। ............. [; शिवसिंद सेंगर ने संबत १४८३ सें इनका जन्स होना लिखा है पंडित रामगुल्लाम द्विवेदी के मत का समथेन करते हुए डाकर प्रिझ्सन एप गा १४८४ में उनका जन्म मानते हैं। हमने गोसाइंजी के जीवन- ...... ...... _ चरित में वेशीमाधवदास के साचय पर सं० १५५४ को ही ठीक... ग .... माना है। बेणीमाधवदाल के मूल गोसाई-चरित के अवुसार .. इनका जन्म राजापुर में हु था । इनकी माता का नाम हुलहसी.. इसका संकेत गोास्वरामीजी की रचनाओं से भी मिलता है बल सा ए ...... इनके. पिता. राजयुर किंवदंती के भ्लुसार उनका नाम... .. झात्माराम दुबे था। माता के गभ में ही इनके दाँत उग झाए ही थे। जन्मवे ही ये राए-चिल्लाए नहीं बल्कि इन्होंने सष्टवया राम” शब्द का उच्चारण किया । इससे पहले कि बिरादरी . .... कि लोगों की सम्सति से पिता यह निश्चय कर सकें कि बालक. रा .. का क्या करना चाहिए, हुलसी ने उसे भ्रपनी एक दासी की... ः. . साख के पास भेज दिया जिसने पातव बष तक छरिपुर से उसका भर थी ..... पालन-पाषथण किया । . हुछसी ता बालक को जन्म देने के दो हे व ...... तीन दिन पीछे मर गई थी था गई! कुलचणों समककर पिता ने भी बालक की संभाल नहीं 7 मी ...... की । कुछ दिनों तक ते बालक दरवाजे दरवाजे राम का नाम लेकर... ....... साँगता फिरा ।. इसलिये लोग इसे रासबाला कहते थे । जन्मते ..... न ही राम कहना भी उसके रामबाला कदलाए ज्ञाने का एक कारण लॉप के इसने से मर...




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