गोरक्षा प्रकाश भाग - १ | Goraksha Prakash Bhag-i
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.29 MB
कुल पष्ठ :
219
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)९६ शीरशाप्रकाश 1
कपूलीए में साल्लकों गुण पाये लाते इं! सी) ली इ1 न
बताइये (गो) देखो बेद्यकवाले लिखसे का “हे
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अर्थ -'सीर न हँ सो गुय, हैं चोर घात पटकारफ् है
और आभारी है ( स) को जी चीर के बिना भीर कुछ न
खाय,? ( गो ) अस्त को कछोडूकर आर फ्या प्र खायमा
(स)श्या घीर का भीजन अख्त है १ (गो) जी छा (स?. ऐसा
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अस्त राज्यसन्सानस्टतं 'लौरमोजनं ॥
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झुसे है, अंसतिद्ी होने के कारण ब्राध्म सो को चौर प्रिय छे
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() ऐसी कीड़ा लिखा है कि ब्राह्मणों को चीर प्रिय कै?
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(वुमस्कारप्रियो मानुनच्यियों मघुरप्रिय: ॥; «
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