अथ बाबा संतोषबोध [२८ ग्रंथों का संग्रह] | Ath Baba Santosh Bodh [28 Granthon Ka Sangrah]

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रा सत्तनाम कबीर । 7 “(९१% मांहिं छगीयक नाठो ॥ तहवाँ | पांजी ठागे॥ तेहिचडि हँसा जइहै आंगे॥ |. दवेतरुपीत कमंछ है राता ॥ तीन तत्व , जीव संग रहाता.॥ तवन तत्वको भाव 'शानी ॥ तोन भेद है पूरुषके पासा. छोड़े काठ जीवकी आसा ॥ पुरुष श- | सुनाई तीन रूपते सैग रहाई ॥ काया था ॥ आवा गमन रहित सो हो .॥। नव तत्वनका कहा बिचांरा' 'घरमदांस तुम करो - सैम्हारा ॥ तत्व मेद कहां तोह्दी.वानीं ॥. छत्र-अधर है नाम निं व्दहे शीतल अंगा ॥ तत्व निरक्षर क मठके संगा ॥ आप पुरुष तेहि पिंड न माथा ॥ पुरुष शब्दतेही देखे साथा ॥ रहे ।नरजन काला, ॥ ता कर . ऊपर का का




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