चिकित्सा तत्त्व | Chikitsha Tatva

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Chikitsha Tatva by उपेन्द्र नाथ मल्लिक - Upendra Nath Mallik

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about उपेन्द्र नाथ मल्लिक - Upendra Nath Mallik

Add Infomation AboutUpendra Nath Mallik

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
दिल्ट्सिताद 1 9 दद्सीइए साराम दातार है पद साय उागई दप्दरदि सेटगस मे दि हामियपायधी बथ्य सब्दतधों कुछ लिप पासग. पसंद उपहार. घयपय हसी दे स्वष्यतां बा स्पतिबम ई। रोग है, स्टस्पता हो र्दसा पक अदस्दा 1 राग नियम भीर झत्याकार बा दिपयय फटे 1 इसलिए रोग बे समय हितन स्रामादिद भाप पर पक्राथ्य शतमी ही झाराम दाने मैं दाधता ता टै । इस लिये बाग ढो भरी सझादार, स्तर, शुलाद भाद सुगधि दम्प पोश्नों हात पं जन फिएसा, चलन, स्पाज इरापपी बपूर पादि गर्ग ससाकों थे पथमां लाहिय। पध्यप साधारण तरह पर सकध् सा साघमे से दी दिए लाता दें + टिसी लिविरसा इस थी स्पदर्रा झयया उप सदी दै। दोमिपर्पियिव के घिपस थाल दससा ये। कहां करत हैं हि सामो तुमारी पीएगी सब दा साए डाइत दें, देने बया होता है इसद उत्तरमें हम इतना ला स्राकार बरते यह हि जे ही लय दा सचगा- रस दो को कक पद शीशी दषा सामने से सत्वाल को आय ठ्ज जि (दल सोध बदाएन भी दीप सना दे लिस्तु उस सेबुदनदुद बिया होगी । पट चात पिन सम्पत है बोर इस दिप स्वीकार करन क्ांपव है, दि तुर्यादि याद भी सषार क्या साके कि उसस दुरू भी परू मे इुपा सो यह घात भी होमिपादेथीक जिद साराफ कद लि पिदा की * दोमिया दैयी बा. टइइयदी यह है दि बचा बल भसर रागी के धरीरपरही हो । इसस शुरू उफ्साप दाने फी संभावना मदद रद । रोगमं यूदका सार देदके सब यम्मों की उत्तसन शीरता चदज़ाती दै, इस शिये यह पोडीसी माधाकी आपाय




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now