मुख्य तत्त्व चिन्तामणि | Mukhya tatva chintamani

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Mukhya tatva chintamani by श्री शुक्लचन्द्र जी महाराज - Shree Shuklchandra Ji Maharaj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ঘন্ষঘাঘ লীল ক্ষ্য ঘাধ়া ९ १४-१९ हीनों विकलेग्द्रियों के ३ वष्डकू ९ নতস্থন্জিন विरलो का एक्‌ दण्डक २१ मनुष्य का एक दष्डफ २९ म्पम्तर देवों का एक वष्डक २३ श्योतिपी देशों वा एक दण्डक २४ वैमानिक देवों का एक दब्डक । १७ लेश्याए -पर १ कृष्ण लेशया २ नीझ लेक्या ३ कापोत सेइ्या ४ वेजो सेष्या १ पश्र सेष्या ६ शुभम सेवया 1 ४८ शणि-तीन १ सम्यग्‌ ष्टि २ मिष्याष्ष्टि १ मिष्र हृष्टि। १६ भ्यान-षार कं १ प्रात्तंष्यान २ रौद्र भ्याम १ धम प्यान ४ प्रुषस न । ২০ জুত্য- द्य १ बर्मास्तिकाय २ प्रघर्मास्तिकाय ३ াক্কাহাভিতরকান ४ पृषद्गसाप्तिकाय ५ भीबार्दिकाय ६ काल द्रस्य। प्‌ द्रस्‍्पों के ठोस मंद (बर्मास्तिकाय के पाँच मद) १ परम्प सेएक २ कोश से सोक प्रमाण ३ काल से स्‍झनादि पनन्त ४ भाब से प्रस्पी १ गुण से गति सक्षण खलग गुथ सहाय । उदाहरण जैसे पाती भे मत्स्य (मलो) (प्रभर्मास्तकाय के ५ भेद) १ उम्यघेएक् र क्षे है सोक प्रमाण ३ कास से प्रनादि प्रतन्‍्त ४ मार्व से प्रसूपी १ पुण से स्पिर गुण सहाय (स्पिति सक्षण)। उदाहरण जैसे- मु्ताफिर क्रो छाया का ह्राघार ।




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