अगम शब्दकोश भाग १ | Agama Shabdakosa Volume - 1
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
47.54 MB
कुल पष्ठ :
838
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
तुलसी साहिब 'साहिब पंथ' के प्रवर्तक थे। कहा जाता है कि ये मराठा सरदार रघुनाथ राव के ज्येष्ठ पुत्र और बाजीराव द्वितीय के बड़े भाई थे। इनका घर का नाम 'श्याम राव' था। किन्तु इतिहास इस अनुश्रुति का समर्थन नहीं करता। इतिहास ग्रंथों के अनुसार रघुनाथराव के ज्येष्ठ पुत्र का नाम अमृतराव था। 'घटरामायन', 'शब्दावली', 'रत्नासागर' और 'पद्यसागर' (अपूर्ण) इनकी प्रसिद्ध कृतियाँ हैं।
ऐसा प्रसिद्ध है कि 12 वर्ष की अवस्था में ही तुलसी साहिब घर से विरक्त होकर निकल पड़े थे और हाथरस, उत्तर प्रदेश में आकर रहने लगे थे। क्षिति बाबू के अनुसार पहले ये ' आवापंथ' में दीक्षित हुए थे और बाद को संतमत में आये; किंतु ऐसा मानने
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अ[अ] निरेवापेक, अंगावार्थक अंख्य, सुं०
देर रे, ५७, भष्, दर, ७४; २७1२२ सम०४
१०1४
अं [च] समं० १२३१
अंइ [अति] सुं० १1३५२. नांया४ है हैं ७२
अंइ [अंपि |] भ० 51२४७
अइ [अधि] नाया० रे १६२७२
अइ [आ+ इ]--अइंति; पण्हा० ७1२०
अइअच्च [अतिगत्य] आ० ६३८
'अइअ हट्िज्जमाण [अतिवत्य॑मान] नाया० १1९१०
अइकाय [अतिकाय] भ० ३२७५२... नाया०
१1€1२०
अइक्कत [अतिक्रान्त] भ० ७३४१. नाया० १1१1
४९. पण्हा० ४1१२
अइक्कस [अति+-क्रमू ।--अइंक्कमइ; भ० १४३७
अइक्कस्माण [अतिक्रामत् ] भ० १1४३७, ४३६९
अइगच्छसाण [अतिगच्छत् ] नाया० १११५३ से
२५५, १८६
अइगसण [अतिगमन] नाया० १२1११, २८, ३२
अइगय [अतिगत ] नाया० १1१1 १६०
अइचर [अति+चर्] --अइयरंति, सू० २७1१०
अइच्च [अतीत्य ] सू० १७1२५
अइजागरय [अतिजागरक ] नाया० १1१९1३६
अइदुकंकर [अत्तिदुष्कर | ठा० धाढं३४
अइदुर [अतिंदर] आ० चू० ११३६, नाया०
शशह्€; शशा१७; रच, र०४; रे र्ड-
उबा० शाप, र०, ४6; रा1१०; रे १०; डी ०य
द१०; ६१०;७।१५, २५; ५८1११; ६1१०; १०1१०.
अंत० रा६१. विवा० रै। 1२५
, अइधूय [अविधूत ] सू० २२1३१
अइपंड्कंबलसिला [अतिपाण्डुकम्वलशिला ]
ठा० ४3३१७
ञे
अंइपत [अति+-पतु ] -अंइपतति, आ० चूं० २३०
अंइपुज्ज [अंतिपुज्य | नाया० १1७1४४1७
अइबल [अंतिवल ] सम० प्र०्.र५६१. भ० €1६४९,
१६३; पण्हा० ४15४ कि '.
अइभदय [अंतिभद्रंक ] नाया० ह1१६।१८४
अइमत्तरोणभोयणभोइ
[अतिमाचपानशोजनभोजिन् | आ०चू० १५६८
अइसुत्त [अतिमुक्त] भ० ५७८ से ८२. अंत०
३२; ६ व० १४५ भ०; ६1७७, ७९ से ८१, ८३ से
८६, ८८््से ६६
अइया. [अजिका | नाया० १1 १1१५६, १६७
अइयार [अतिचार] ठा० ३४४२. सम ० प्र० €४
अइर [अचिर] सम० प्र० २३५१. नाया० १1१६।
श्५८
अइरत्तकंबलसिला [अतिरवतकम्बलबिला ]
ठा० र1३४३
अइरा [अचिरा] सम० प्र० २२१1२
अइरित्त [अतिरिक्त] आ० २४९. नाया० १८1८६
पण्दा० १०1६
अइरेग [अतिरेक] ठा० रा५३; 51८६. सम०
शर;जारच; हा; १७६; रढीश, ६; रद1५;
देश ४; ३३३३; ५३ १; ७४; ६६1४. प्र० रद,
७३, पं, ३, १६०. भ० रे। ३; शाष, १०.
नाया० १1१२४
अइरेय [अतिरेक] नाया० ११1३३
अइवइत्ता [अत्िवत्त्ये] सू० २२1५६
अइवइत्ता [अतिपत्य] नाया० १६४. पण्हा० दे।9
अइवट्ट [अत्तिवत] सू० १४1३३
अइवत्त [अति+वृतु] --अइवत्तई, आ० €1१1७
अइबयंत [अतिब्रजतु] नाया० ११1१६. अंत०
२1१७; रे ११६
अइवयमाण [अतिब्रजतु ] नाया० १1५२३
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