मानस - दर्पण | Maanas Darpan

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Maanas Darpan by चन्द्रमौलि सुकुल - Chandramauli Sukul

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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उपोद्घात । श्रीगोस्वांमि तुलसीदासजी । जीवन-चरित्र का अभाव | पुराने समय में इमारे देश में जितने बड़े बड़े कवि हो गये हैं उनमें से प्राय बहुतां का कोई ठीक ठीक लिखा पढ़ा वशन नहीं मिलता । इसका कारण यह है कि उस समय न ता इतिहास लिखने की प्रथा बहुत प्रचलित थी श्रौर न उन महा कवियां ही को अपने जन्म-कमे का सब हाल कह कर ध्पने मुँह मियाँ मिटटू बनने को श्राकांच्षा थी परन्तु तब भी परमेश्वर के सामने अपनी दीनता दिखाने के लिए या ऐसे ही श्रोर किसी श्रभिप्राय से कभी कभी जा दा-चार शब्द निकल पड़ उन्हों से श्राघुनिक पंडित कुछ ध्रनुमान कर लेते हैं । दूसरा द्वार उनके जीवन-चरित्र जानने का यह है कि उनक पीछे- वाले लोगों ने उनके महत्त्व-वणन में कुछ कहा है । परन्तु इनमें कभी कभी इतनी श्रतिशयोाक्ति पाइ जाती दे कि सटासत्य का विवेक श्रत्यन्त कठिन है । इन ध्रतिशयाक्तियां को देख कर साधारण मनुष्य भी सेकड़ां स्वकपालकल्पित बातें गढ़ लेते हैं जा




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