भारतवर्ष का इतिहास (खण्ड-विभक्त) | Bharatvarsh Ka Itihas (Khand-Vibhakt)

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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९१० भारतवर्ष फा इतिहास नामक एक उत्कृष्ट घोद्ध मन्थ निफला है जिस में प्रायः ३०० श्लोफों में प्राचीन से तत्कालीन पय्येन्त इतिहास फथित है । महमूद गऊ़नवी के साथ 'गलबखूनी नामर्क एक हेसा अरबी पंडित झाया था; जिसने संस्कृत भाषा पढ़कर भारत का चर्णन लिखा जो घहुत उपयोगी है. । मुमल मानी ऐतिंदासिक फुरिश्ता 'झादि ने भी भारत का इतिहास रचा है किन्तु इन्होंने मुसलमानी बल बढ़ा हुआ कहने के विचार से दिन्दुतयों का प्रताप घटा कर लिखा । बनियर मनूची ब्रादिने भी मुगल भारत का 'झाँख देखा कथन किया 'ोर दाल में प्रोफेसर जदुनाथ सरकार ने ओरज्जेप का विशद इतिहास पाँच भागों ' में रचा है. 1 पाश्चात्य बिद्वानों में से सर विलियम जोन्स, फोलबुक्र, विरसन) डा० मिल, पार्जिटर, पिंसेप, डा० चरनल, डा० क्ुचीट, प्रफ़िसर कीलद्दानं ब्लौर रायल एशियाटिक सोसायटी तथा एशियाटिक सोसायटी 'झाफे धड्ाल, भारतीय विपयों पर प्रामाणिक माने जाते हैं । थ दिला लेग्दों, ताश्रपतरों; सिकों 'मादि से भारतीय इतिहास का बहुत घिशद पता चला है । अशोक, समुद्रसुम चदि ने पाषाणों पर अपने दाल खुदबाए | दच्िणी भारत में ऐसी सामग्री घहुत प्रचुरता से मिलती है । प्राचीन ग्रन्थों में भी इतिहास का वर्णन है, किन्तु इनसे अधिक लाभ नहीं हुआ है क्योंकि इनमें से बहुर्तों में 'छत्युक्ति की मात्रा, घहुत बाधिक है.। कशमीरी प्रस्थ राजतरंगिणी भी चुल अस्पुक्ति पूण है. 1 राजतरंगिणी सन्‌ ११४८ में लिखी गई । उसकी प्रत्यक्ष भूलें यदद हैं, कि उसमें अशोक का समय १९०० बी० सी० तथा मिद्दिर कुल का ८१२८-४८ बी० सी० लिखा दे. '्रीर रणादित्य का भी समय सन, रर२-५२९ ई० र्थात ३०० _चर्पों का दिया है । मिहिर फुल के पिता तोड़मन को पमिहिर फुल के उपगंत ७ वीं शतादरी का लिखा है। चाणुकृत हपंचरित्र और चिटदण-कत विक्रमादुरेव चरित्र अच्छे न्थ हैं । रामचरितमू में घंगाली पाल राजाओं का वणन एवं जैन मंधों में पश्चिमीय चालुक्य राजऊुल का फथन है.। भारत में बहुत से संबतू होने के कारण यहीँ का समय निरुपण एक कठिन काम हे। कर्निचम ने बीस से झूपर संबर्तों का चुन किया दै । 'अल दे ।बखर्नी ने १०३० डे० में वि में लिखित १८ पुराणों के नाम लिखे 'और कद्दा कि बन ्




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