विवाह की कहानियाँ | Vivah Ki Kahaniyan

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Vivah Ki Kahaniyan by श्री भारतीय - Sri Bharatiya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भूल न जाना | ७ अच्छा था जी !” जलज उसके संबंध मे सोचने लगा--“वह कौन है ? कहाँ रहती है, और नाम क्या है उसका ? नाम |”””***”””” नाम उसका अंजना है । कितना अच्छा नाम है, और वह भी तो बड़ी अच्छी है । जाड़े से ठिछुरते हुये उस दद्ध को उसने किस प्रकार उदारता से झपना कोट उतार कर दे दिया । यदि किसी प्रकार उससे जान-पदचान हो जाती ! उसके साथ खेलता, बैठकर किताबें पढ़ता और कहानियों कहता । कितनी अच्छी लड़की है वह !”” जलज रात भर सोचता रहा, और फिर उसे नीद॒ न आईं । प्रभात होने पर बह फिर उसी ओर गाया, जिस ओर सन्ध्या- समय घूमने गया था । उसने सोचा, कदाचित्‌ उससे वही भेंट दो जात्र; पर उससे तो सेट न हुई, हॉ सडक की पटरी पर वह वृद्ध अवश्य उसका क्रेट ओद़ कर पड़ा हुआ था । जलज उसके पास खड़ा हेकर उसके केट की ओर देखने लगा । जलज को ऐसा लगा, जैसे वद्द उस केट मे से भाँक रही हे । जलज ने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया । अभी उसका द्वाथ कोट तक पहुँचा न था, कि बरृद्ध सगबगा उठा । जलज ने अपना आगे वढ़ा हुआ दाथ खीच लिया, और साथ ही उसके हृदय पर एक उदासीनता भी डोल गई। जलन उदासीनता से लिपटी हुई आँखों से कुछ देर तक उस कोट की ओर देखता रहा और फिर अपने घर की ओर चल पड़ा । जलज के छृदय से उस उदासीनता ने घर कर लिया । वह




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