महाकाव्य विवेचन | Mahakavya Vivechan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्राचीन कविता और उसका विदलेषण द् श्‌ डे परिचय--संसार की सबसे पुरानी कविता 'वेद' में ही प्राप्त होती है । 'बेद' शब्द का अर्थ है--'ज्ञान' । पहले यहू कविताएँ सुनकर याद कर ली जाती थी । इसीलिए वेद का दूसरा नाम श्रुति है। हिन्दुओं मे पुराना विचार यह था कि वेद को ईश्वर ने प्रकट किया था और ऋषि उसके द्रप्टा थे । अत. वेद अपोरुपेय है। गौतम बुद्ध के समय तक लिवेद ही प्रप्तिद्ध थे, किन्तु छान्दोग्योपनिपद्‌ तथा अन्य परवर्त्ती वैदिककालीन रचनाओं में ही नहीं, वरन्‌ स्वयं विराट पुरुष के प्राचीन वर्णन 'पुरुष सुक्त' में भी 'छन्द' का वर्णन माता है-- तस्माद्यज्ञात्सबंडूत: ऋषच: सामानि जन्चिरे, छदा55तिं जज्षिरे तस्माद्यजुस्तस्मादजायत 1७91 इससे प्रकट होता है कि “छंद” कहूलाने वाली कविताएँ ही परवर्त्ती काल में अथर्ववेद के नाम से प्रचलित हुई । इस प्रकार ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद, और अथवंबेद--चार प्रसिद्ध हुए । काले निणणय--सूरोपीय विचारकों का प्रयत्न यही रहा कि वे भार- सीय सांस्कृतिक परम्परा को परवर्त्ती सिद्ध करें 1 फिर भी विन्टरनित्स ने कहा कि : “वेद बुद्ध के समय में भी इतने प्राघीन माने जाते थे कि उन्हें अपौरुपेय-सा ही समझा जाता था । बुद्ध ईसवी छठी शती पूर्व में थे । तब हम बेद के रचनाफाल को २४०० ईं० पू० तो मानने को विवश ही हैं। कुछ विद्वानों ने वेद को ३५००-२४५०० ई० पू० के यीच में बना डुआ माना ।




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