काव्य - विमर्श | Kaavya Vimarsha

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Kaavya Vimarsha by पं रामदहिन मिश्र - Pt. Ramdahin Mishra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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काव्यालोक [ ६ ३ स्थान काल आदि द्वारा व्यवह्दित हृदय के सहित हृदय का मिलना जिससे घंटित होता है वह साहित्य है । आचायं क्षि० मो० सेन ् ४ साहित्य शब्दों की अँगूठी में विचार का नगीना है । कार्ठाइल ४. साहित्य भव्य विचारों का लेखा है । एमसंन ६ प्रत्येक देश का साहित्य वहाँ कीं जनता की चित्तब्रलि का संचित प्रतिबिम्ब होता है। आचांय॑ रामचन्द्र शक्ल इस प्रकार साहित्य के स्वरूप॑-निदशक अनेक व्याख्यात्मक भावा-. त्मक विचारात्मक लक्षण हैं जिनसे उसकी बॉकी कॉँकी मिलती है। तीसरी किरण साहित्य का व्यापक झथ संस्कृत में साहित्य शब्द का व्यवहार अपेक्षाकृत आधुनिक है। क्योंकि प्राचीन ग्रन्थों में इसका उल्लेख नहीं पाया जाता । पहले साहित्य शब्द का ऐसा अथ भी नहीं था जैसा कि आज समभा जाता है। किन्हीं दो वस्तुओं के एक साथ होने का तात्पय इससे ज्ञात होता था । किसी के साथ संग वा मेल करने को भी साहित्य कहा ज्ञाता था। कामन्दकीय नीतिसार में जहाँ ख्रीसज्ज-निषेध का प्रसज्ञ आयां है वहाँ इसका प्रयोग किया गया है। संस्क्त-साहित्य के प्राची न अन्थों में साहित्य शब्द का संभवत यही पहला प्रयोग है । साथ के अथे गुप्तजी ने साहित्य शब्द का प्रयोग किया है-- तदपि निश्चिन्त रद्दो तुम नित्य यहाँ राहित्य नहीं साहित्य । साकेत ल्‍ इस शब्द का वतमान अथ अनुमानत उस समय निश्चित किया गया होगा जब कि काव्य-साहित्य को शब्द और अथ का सम्मिलित रूप मान लिया गया होगा साहित्य शब्द का एक और अथ है अन्थसमूह । आधुनिकों ने उसे लिटरेचर ( 1. &7त1पा6 ) कहना आरम्भ किया है। जब हम इतिहास में लिखा देखते हैं कि अमुक राजा के राज्य में साहित्य की १ साहित्य-परिचय ( बँगला ) २ एकार्थचर्या साहित्यं संसर्ग च॒विवर्जयेत्‌ ।




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