हिंदी उर्दू और हिन्दुस्तानी भाग 2 | Hindi Urdu Aur Hindustani Bhag 2
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
20.65 MB
कुल पष्ठ :
193
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about पद्मसिंह शर्मा - Padamsingh Sharma
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दे हिन्दी उदू श्रौर हिन्दुस्तानी रूप में--इस बात को ठीक मान लेने पर भो इस पर अमल या व्यवहार नहीं हो रद्दा पंचों का कहना सिर-माथे पर पर परनाला वहीं बहेगाः वाली बात हो रही है ? केवल विदेशी भाषाश्रों के शब्दों का उच्चारण सेद ही झगड़े का कारण नहीं है अपनी भाषा के ठेठ हिन्दुस्तानी शब्दों के बारे में भी यही बात है । प्रान्तीय भेद के कारण एक ही शब्द भिन्न- भिन्न रूप में बोला जाता है यद्यपि लिखने में उसका एक ही रूप रहता है पर बोलने में लदजा या टोन जुदा-जुदा होती है। यह बात कुछ इमारी हिन्दी ही के सम्बन्ध में नहीं है संस्कृत श्रोर अँगरेज़ी के उच्चा- रण में भी है। बंगालियों का संस्कृत उच्चारण बंगला ढंग का होता है दक्षिणियों का दक्षिणी ठंग का और मदरासियों का इन दोनों से जुदा अपने ढँग का | राजशेखर ने श्रपनी काव्य मीमांसा में संस्कृत श्र प्राकृत के उच्चारण-मेद पर बहुत कुछ लिखा हे । किस प्रान्त के लोग प्राकृत का उच्चारण अच्छा करते हैं श्र क्रिस जगह के संस्कृत का । इस पर खूब बहसकर के संस्कृत श्र प्राकृत के लिये पांचाल प्रान्त तथा संयुक्त प्रदेश ( मध्यदेश ) वालों का उच्चारण श्रादश माना है 1६ जैसे सय्यद इन्शा ने उदू के लिये दिल्ली वालों का । सार्गानुगेन निनदेन निधियुशानां सस्पूणवसारचनों यति्विंभक्त । पाज्चालमयलमसुवां सुभगः कवीनां श्रोत्न मधु क्षरति किश्वन काव्यपाठः ॥ ( का० सो० ७ अध्याय ) गोडाद्या संस्कृतस्थाः परिचितसचयः प्राकृते लाटदेश्या सापज् शघ्रयोगाः सकलमसुमुवष्टछमादानकाश्च । श्रावन्त्याः पारियात्राः सड दृशपुरजेभू तभाषां भजन्ते यो मध्ये मध्यदेश निवसति स कवि सवेभाषानिषययणु ॥| 1 कं ७ मी० १७ श& )
User Reviews
No Reviews | Add Yours...