हिंदी पत्रकारिता विविध आयाम भाग २ | Hindi Patrakarita Vividh Ayaam Bhag 2

Hindi Patrakarita Vividh Ayaam Bhag 2  by बनारसीदास चतुर्वेदी - Banaarseedas Chaturvedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हैसें काल में भारतीय प्रेस की अवस्था का सर्वेक्षण सुमंत बनर्जी ने अपनी पुस्तक इंडियाज मोनोपोली प्रेस में किया है । इस सर्वेक्षण में सभी पत्र अंग्रेजी के हैं तथा बेक राष्ट्रीयकरण प्रिवी पसें आदि पर अखबारों के दृष्टिकोण का विदलेषण किया गया है । सर्वेक्षण के अंत में सुमंत बनर्जी ने निष्कष निकाला है कि ये समाचार-पत्र परि- वतन के विरुद्ध संघष करने के दाक्तिशयाली हथियार हैं । इन समाचार-पत्रों की जनता और समाज के प्रति कोई जिम्मेदारी नहीं । भारतीय प्रेस विकृति का दपंण मात्र है । ऐसी विषम स्थिति में जो समाचार प्रकादाना्थ आते हैं वातावरण के अनुसार कुछ समाचारों को स्वभावत दबा देना पड़ता है और मुख्य उप-संपादक की जैसी मनो- वृत्ति होती है उसी के अनुसार अंततोगत्वा ससाचार के चयन का कार्य होता है । समा- चारों के चयन पर इस एकपक्षीय बृत्ति से पूंजीवादी और वगंवादी प्रेस पीड़ित हैं । दोनों ही अपने-अपने निहित स्वार्थों के लिए केवल नेतागिरी की रक्षा का ध्यान रखते हैं। जनंहित का नारा दोनों ही लगाते हैं कोई कम कोई ज्यादा । इस वातावरण मे प्रतिदिन काम करते हुए भी उप-संपादकों को समाचारों के चयन के प्रदइन पर यथासंभव अपनी आचार-संहिता समाचार की गरिमा लोकहित और राष्ट्रहित का ध्यान रखना चाहिए । हिंदी के पाठकों की संख्या निरंतर बढ़ रही है । इसलिए हिंदी के समाचार-पत्रों का अपने पाठकों के प्रति दायित्व और अधिक बढ़ जाता है । बढ़ती पाठक-संख्या को देखकर हमे अधिक-से-अधिक लोगों तक फ्हुंचने के लिए कुछ अछते क्षेत्रों पर निरंतर ध्यान रखकर उनके समाचारों का चयन करना चाहिए जेसे . महिला . बालक . श्रमिक कृषि - पु-पक्षी . मन बहलाव के विभिन्‍न पक्ष कला ६ दी ह- नए 0 दा ० मुल भाधार अब हम चयन के मूल आधारों को निम्नलिखित रूप में स्थिर कर सकते हैं १. असाधारण समाचार २. ख्यातनामा व्यक्ति पर भला-बुरा प्रभाव डालने वाले समाचार ३. अपने देदव अपनी सरकार प्रदेश तथा नगर पर प्रभाव डालने वाले समाचार ४. पाठक के बजट पर असर डालने वाले समाचार ५. अन्यायपुर्ण घटनाएं ६. हु्गेटनाएं ८. हिंदी पत्रकारिता बिजिध आयाम




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