राजस्थानी शब्द कोश खंड 4 | Rajhsthani Sabad Kosh Khand 4

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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तारखी तेज रूस । कुमंखी कुछ सां यंद्र ढाठ्या गिरंद काठा वीर सिवा वाठ॑ँ रिमां राछ्िया विधूंस । . -हुकमीचंद खिड़ियो यंद्रजीत- इंद्र जीत (रू. भे.) यंद्रपुर यंद्रपुरी-देखो इंद्रपुरी (रू. भे.) (अर. सा.) उ०-जुब वारंगना बरें जोगावत वेधि घड़ा यंद्रपुर वसियो । महू चौंडां सठखां रिणामालां कमघज कुटंब ऊजलौ कियौ । -गीत हटीसींघ जोगावत रौ यंद्रांस-देखो इंद्र (रू. भे.) यंद्रांसी-देखो इंद्रांसी (रू. भे.) (अर. मा.) यंद्रावरज-देखो इंद्रावरज (रू. मे.) यंद्रावरध-देखों इंद्रावध (रू. भे.) यंद्रासर-देखो इंद्रासण (रू. मे.) उ०-एऊदलो जगौ सायबवं करन श्राफठ यंद्रासण लेयण कारण श्रघाया । वर्घे लेता जसी भांत सु वधारा वध ज्यूं यज खाग कले वाया । -एउजेण र भकगड़ा रो गीत यंद्रिय यंद्री-देखो इंद्रिय (रू. मे.) यंताम-देखो इनांम (रू मे.) (ए. का.) यनासी-वि. [अ्र. इनामज-रा. प्र. ई.] इनाम प्राप्त करने बाला । उ०-ुघ्प्राबादांन गांवां में किसांणां नें बसाया उदकी भी यंनांमी देसवासी चैन पाया । -एणि. वं. यंबर-देखों अ्रंबर (रू. मे.) उ०--्राह गयंद विढ़वा लगा वढछ व दाखे पांगा । उदथ छोठ यंबर लगा फेर मथे महरांरा । -एगज उद्धार यंम-सं. पु.--१ कपट छल (अर. मा.) २ देखो यम (रू. मे.) य--सं. पु. [सं. यः] १ गाड़ी यान सवारी ।. २ हवा वायु । ३ कीर्ति यद । ४ सम्मेलन । ४५ यव जौ । ६ बिजली विद्युत । ७ रोक रुकावट । ८ यमराज । € त्याग १०. योग । ११. संयम । १२. प्रकाश रोशनी । १३. गणेश । १४ ईदवर । १४. पुरुष । रै६. छन्द शास्त्र में यगणा का संक्षिप्त रूप। (एका.) वि.-जाने वाला । (एका.) कि. वि.-पुनः और । (एका. ) यक--देखो एक (रू.भे.) उ०--१ चव शझ्राद खटकठ ढुकठ गुरु यक पाय मत झ्रठवीसयं । हरि गीत सौ जिण अ्रंत लघु सौ रांम गीत मती सयं । ं -ार.ज.प्र सक्ष ३९४९ का नमक मानक कर. व सा धगनान्य ४. ५4० लि उ०--२ धुर चवदह नव फेर धर श्रंत गुरू लघु श्रक्ख । यक्र तुक मिठ मोहरा उनमे सौ दुमिठा कवि सक्ख । नर यकश्रंगी-वि. [सं. एक --ग्रंगी] १ एक अंग वाला । २ जिसके केवल एक ही पति या पत्नी हो । यककुंडछ-सं. पु. [सं. एक कुंडलः | शेष नाग । यकता-देखो एकता (रू.मे.) यकबारगी-देखो एक बारगी (रू.मे.) यकलंक यर्कलिग-देखो एकलिंग रू.भे.) उ०--यणा प्रकार रांगो भीम कीरति को भोजताछाबिलंद चितकौ समंद ग्राचार कौ इंद सरणायां साधार हिंदुपति पातस्याह यकलंक को श्रवतार महिमा श्रपार यसौ रांगौ भीम । -बगसीरांम प्रोहितरी बात (हनां.मा.) यकलास-देखो इकठास ही (रू. मे. ) यकवीस यकदीस-देखो इक्कीस (रू. भे.) उ०--विप्री तेरह लघुव दीजे लघु यकवीस खित्रणी लीजे। सतावीस लघु वेसी सोई है लघु भ्रधिक सुद्रणी होई । नर. ज. प्र. यकहत्तर-देखो इकोतर (रू. भे.) उ०--विघ यकहत्तर छपय बद सत्तर गुरु लघु बार । अजय जिकौ गुरु घट बधे बे लघु नांम निहार । ं नर. ज. प्र. यकांवन-देखो इक्यावन (रू. मे.) उ०--सेवे राज सच्रासे यकांवन साल पायी सच्रासै तरेपन सैर सीकरी नें बसायो । -ाएादि. वं. यकार-सं. पु. [सं. यः+कार] १ छंद शास्त्र में यगण गण का नाम । २ य वां का नाम । यकावन-देखो इक्यावन (रू. भे.) यकौन-सं. पु. [अ्र. यकीन] विश्वास प्रतीति । उ०-र१ दाद गल काटे कलमा भर शभ्रया विचारा दीन । पंचों वक्त नमाज गुजारं साबित नहीं यकीन । ् दादूवांणी उ०--र दाह सिदक सबुरी सांच गह साबित राख यकीन । साहिघ सौं दिल लाइ रह मुरदा है मिस्कीन । दादुवांणी यक्ष-| सं. यक्ष | देखो जक्ष .. (रू. भे.) उ०-१ तद नौ नाथ चौरासी सिद्ध कह-ने थे दोनूं ही पुरब जनम में यक्ष था सो कुबेर रे खजांन पर रुखादा था । डाढालोा सुर री वात




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