आगरा घराने की परम्परा गायकी | Agra Gharane Ki Parampara Gayaki
श्रेणी : सभ्यता एवं संस्कृति / Cultural
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.68 MB
कुल पष्ठ :
277
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about रमणलाल नागरजी मेहता - Ramanlal Nagarji Mehata
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आगरा घराने के दो बुजुर्गों से दो शब्द
खान-दान की ओर से
हमेरि ग्वानदान और धराना-गायगी पर यद पुम्तक पढ़ मर मे
पढ़त खुशी हुई € । प्रोफेसर मेहता साहमने खानदान की सच्ची तयारीषव
इकट़े करने मे काफी श्रम उठाया है, और इस में हमने मी पूरा साथ
दिया है । ग्यानदान मे भी प्रदा चीज गाययी और गायवी की परपसा
है, भर गायनी को पद्ी खानदाना चात पंदिंया के सहारे के बिना
रास्ता नहीं मिठ्ता है । हमारे खानदान म चानों का महू मडा हैं,
और खाँ कैयान स्वाँ और साँ मिरायतटुसिन य्वाँ दोनों के पास चातों का
खताना यहा भारी था । मेहता साहब खुद-व-खुद उत्तम दर्जे के गायक
होने के ततह्द से उन्हों ने पड़े चाय से और अथव मेहनत ले कर रस
आगरा घराने का रतिहास का सशोधन रिया है और यीनों को अपनी
मालिक दृष्टि से दूलकर सम्रह किया है। इसके छिए उनकी नितनी
सराहना की नाय उतनी कम है 1
भारतीय लड़िति कठाओं के क्षेत्रम सगीतकढा का स्थान अनोखा हैं |
और सस्दति क निहास मे सगीतकछा ने अपना दिदिष्ट हिस्सा दिया
है। मानयजीनन की उर्मिया रागों म गूंथी हुई है। आर रागों में भरी
हुई प्रिमिधता काराफारों के पास सुनने में आती है । इस वैविष्य का
बैशिष्टय प्रणात्काओं द्वारा परखा जाता है । प्रणालिका शिक्षण का प्रश्न
है। ्स में हम गुरूपरपरा का दशन होता है | ऐसी पिया पा कर,
दशिप्य एक प्रतिभाशारी कलाकार यनता है निस म मेहनत, और सनों
छगन का महत्त्व यहुत रहता है । सगीत जैसी कठाकी पूर्णता इसकी
ग्रत्यक्ष निया में ही देखी जानी है, और प्रत्यल किया की शिक्षा को दी
तालीम कही जाती हे । उस्ताद, शागि्द को समुख बिठा कर शिक्षा
दता हैं, इसको “ सीमा-वसीना ” तालीम कहीं जासी है |
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