आत्म विज्ञान | Aatm Vigyan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.46 MB
कुल पष्ठ :
86
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)३७ श्रद्धा, ज्ञान 'और चरित्र,
८-वुद्धि।
भावना की भाँति बुद्धि भी श्ात्मा की एक शक्त
( रूपान्तर ) है। भावना तो इच्छा-शक्ति है ओर बुद्धि
विचार करने का बल है । ये दोनों रूप अलग-अलग नहीं
हैं, योर न किसी तरह 'झलग-धलग किये दी जा सकते हैं ।
भावना-शक्ति स्वयं तके-रूप में काय करने लगती है, जब
कि वह विचार करने की गम्भीरता पा लेती है। गम्भीर
विचारक को जब भयानक कपाय शा घेरते हैं, तब चघुद्धि
तुरन्त बेकार हो जाती है । यदि श्ञात्मा की शान्ति कों भजन
करने के लिये इच्छायें न हों, तो वह सवज्ञाता दो जाय !
व्रौोर जब उसमें इच्छायें मन्दतर रूप में होती है तब वह
गम्भीर विचारक और विवेकी होता है । किन्तु जब वह
तीन्र कपायों के 'माधीन होजाता है, तो उसे निर्देयी बनते 'और
विचारी कार्य करते देर नद्दीं लगवी--वह स्वयं मरने
और दूसरे के मारने की परवा नहीं करता |
बुद्धि उस समय भी ठीक-ठीक क।य नहीं कर पाती,
जब उसमें पक्षपात का विप प्रवेश कर लेता है । तथापि
पक्षपाव के पागलपन की शक्त में पलट जाने पर वह निःशेप
हो जाती है ।
'.त: वह पाँच प्रकार की शक्तियाँ जो बुद्धि के ठीक-ठीक
कार्य करने में बाधक हैं, चार प्रकार के कपाय योर पाँचवाँ
निःकष्ट दशा 'का पक्षपात हैं । जब तक इन पर शधिकार
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