भारतीय कृषि - अर्थशास्त्र | Bhaartiya Krishi Arthashaashtra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
64.18 MB
कुल पष्ठ :
601
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ही भारतीय कृषि-अथशाख्र से रोकती हैं । इसका यह अर्थ नहीं है कि आक्षण-शाक्ति का सिद्धान्त गलत है किन्दु इस नियम के छायू होने में पूववत् परिस्थितियों में परिवतन हो गया ।. यही सिद्धान्त अर्थशाख्र में जो कि परिवर्तनशीछ स्वभाव वाले मनुष्यों से सम्बन्धित है सत्य उतरता है। इन सब बातों को अच्छी तरह समझ लेने पर यही मानना पड़ेगा कि अर्थशाख्र के सिद्धान्त उसी तरह निश्चित अथवा अनिश्चित माने जाने चाहिये जिस तरह कि किसी अन्य शाख्र और विज्ञान के । ..... दूसरी बात यह है कि अनेक ऐसे विज्ञान हैं जिनमें सिद्धान्तों की परीक्षा करते समय विरोधी वातों को -सबंधा दूर रखा जा सकता है और इस बात की परीक्षा की जा सकती है कि अमुक कारण उपस्थित होने पर परिणाम क्या निकलेगा ।. अर्थ- शाख्र में इसके विपरीत न तो कोई ऐसी प्रयोगशाला ही सरठता से मिल सकती है और न आसानी से वे विरोधी परिस्थियाँ और बाधाएँ ही दूर हो सकती हैं । इसका कारण यह है कि अर्थशाख्र के सिद्धान्तों का सम्बन्ध मानवीय इच्छाओं से रहता है. जिनका रोकना अत्यन्त कठिन हैं । अतः अर्थशाख्र के सिद्धान्त उतने स्थिर नहीं माने जा सकते जितने स्थिर अन्य विज्ञान और दाछ्रों के होते हैं । किन्तु ऐसी बाधाओं और विरोधी परिस्थितियों के न रहने पर वे भी पूरी तरह छागू हो जाते हैं । किसी विद्या का अध्ययन या तो केवठ ज्ञान की ब्रूद्धि के लिए किया जाता हैं अथवा इसलिए कि उससे हमें अपने देनिक जीवन में अनेक के ५... ७७ ्् च्ध त लाभ होते हैं । बहुत-से सजन वर्क अर्थात् डाक्टरी का अथेशास्त्र के अध्य- क _ जल सी न अध्ययन अपने आराम के समय किया करते हैं । इसमें उनका यन का उद्द श्य प्रयोजन कदाचित अर्थ-सिद्धि नहीं होता है वरन् उनका ध्येय जन-सेवा और लोक-कल्याण का रहता है । इसी प्रकार आध्यात्मिक उन्नति के लिए रुदति और पुराणों का अवलोकन किया जाता है । किन्तु प्रायः ऐसा देखा जाता है कि ज्ञान की खातिर पड़े गये शास्र और विज्ञानों से भी व्यावहारिक जीवन में बहुघा लाभ उठा छिया जाता है। बहुत-से शास्त्रों के पढ़ने से तो ज्ञान की अभिन्रद्धि अधिक होती है और किन्हीं से व्यावहारिक छाभ उठाने की । अर्थशाख्र की परिभाषाओं में हम देख चुके हैं कि इस शाख्र में सामाजिक सजुष्य के घन सम्बन्धी प्रयल्लों की जाँच की जाती है । वह किस प्रक़ार जीवि-
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