उत्तर प्रदेश में कृषि विपणन | Uttar Pradesh Me Krishi Vipanan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Uttar Pradesh Me Krishi Vipanan by राकेश कुमार - Rakesh Kumarहरेन्द्र कुमार - Harendra Kumar

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

राकेश कुमार - Rakesh Kumar

No Information available about राकेश कुमार - Rakesh Kumar

Add Infomation AboutRakesh Kumar

हरेन्द्र कुमार - Harendra Kumar

No Information available about हरेन्द्र कुमार - Harendra Kumar

Add Infomation AboutHarendra Kumar

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
का दूसरे देश मे निर्यात करने की स्थिति मे आ गया है। खेती को और अधिक लाधपूर्ण बनाने के विभिन्‍न उपायों मे कृषि उत्पादों का अधिक से अधिक नियति करना एक महत्वपूर्ण कदम हो गया है। भारतीय कृषि क्षेत्र ये व्यापार आम समझौते से पौधों की किस्मो के सरक्षण हेतु प्रस्तावित नया कानून लागू होने पर कृष्टि तथा कृषकों की हितों की सुरक्षा और भी बेहतर तरीके से हो सकेगी। साथ ही साथ बीजों को सग्रह करने तथा उनके विनिमय अधिकार पर भी कोई प्रभाव नहीं पडेगा। भारत को कृषि उत्पादों का नियतिक बनाने का मुख्य श्रेय कृषि अनुसंधान और उत्पादन में वृद्धि का है। पहले हमगे खाद्यान आयात करना पड़ता था, लेकिन अब भारत खाद्यान्न उत्पादन के रिकार्ड उत्पादन से इस वर्ष न केवल लक्ष्यों को पार कर गया है, बल्कि उसके पास ३ करोड ५० लाख टन से अधिक का सुरक्षित भण्डार थी है। १९९५-९६ मे भारत ने लगभग ५५ लाख टन गेहूँ और चावल का नियत करने का सकल्प लिया था। जिसमे गेहूँ का निर्यात वर्ष १९९५-९६ मे ९०० मिलियन रूपए तक पहुँच चुका था।* देश उदारीकरण प्रक्रिया से ही कृषि के क्षेत्र में उत्पादन और निर्यात के मामले ये अद्वितीय वृद्धि कर पाया है। किन्तु अभी और अधिक कृषि उत्पादन मे स्थिरता लाने के लिए आधुनिक कृषि प्रौद्योगिकीयों को अपनाना होगा ताकि निर्यात से होने वाली आय बढ़े। भारतीय कृषि उत्पादों के लिए विश्व व्यापार के बदले परिवेश मे व्यापक सम्धावनाएँ बढ़ी है। विश्व व्यापार में कृषि क्षेत्र के शामिल होने का भरपर लाथ उठाना है तो विविध उपयोग के लिए कृषि उत्पादन के नीति को बढ़ावा देना होगा। इसके लिए इस क्षेत्र मे विदेशी निवेश मे प्रोत्साहन दिए जाने के स्पष्ट सकेत मिलने लगे हैं। कुछ वर्ष पहले खाद्य तेलो की कमी हुई थी। और इनका आयात काफी बढ गया था लेकिन आज स्थिति यह है कि खाद्य तेलों का आयात घटकर ३०० करोड रू० प्रतिवर्ष हो गया है। वहीं हमारी तिलहनी फसलों और उनसे बनने वाली उत्पादों का निर्यात आठ गुना बढकर २५०० करोड़ रू० से भी ऊपर हो गया है विश्व व्यापार में भारतीय कृषि उत्पादों का हिस्सा अभी तक कुल मिलाकर १ प्रतिशत से भी कम है क्योंकि स्वतन्रता प्रा होने के पश्चात्‌ चार दशकों तक कृषि उत्पादन * विश्नोई हरि, कृषि निर्यात के बढ़ते चरण, पृष्ठ संख्या ११९२, प्रतियोगिता दर्पण आगरा, फरवरी १९९७ | * विश्नोई हरि, कृषि निर्यात के बढ़ते चरण, पृष्ठ संख्या ११९२, प्रतियोगिता दर्पण आगरा, फरवरी १९९७ |




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now