राइफल | Rifle
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
42.95 MB
कुल पष्ठ :
319
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
मुहम्मद सादिक सफवी - Muhammad Sadik Safavi
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रामचन्द्र वर्मा - Ramchandra Verma
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मम शू नन्न् निया जाता है । सौ गज की दूरी पर एक कला के ण की रेखाओं के बीच १.४७ इंच पूरा दाता हूं । इनों अनुपात से और पत्लों या परासों के लिए भी एक कला के कोण पाथों का पारस्परिक अन्तर जाना जा सकता है । गज इंच ९५ रइ ०0 मे 3५ ७९ १०० टन १२५ १३१ भ्ठ १५७ २3५ १८३ ग्छ्० २ ९ सर्प सर्द ५० २६२ 5५ र्ष्ट्ट थ दे०9 ३११४ कोणीय माप की कला और वन्द्रकवाजी की कला में कुछ अन्तर है जैसा कि अपर बनाया जा चुका है। कोगीय साप की कला सौ गज पर १४७ (या लगभग ६ 2 कै परायर हक हैं ठेकिन गोलीवाजी में गणना की सगसता के विचार से इत मचात्मक [दिरट्प081) सक्षम अन्तर का | नचार छाड़कर सौ गज पर एक कला को निक इच के बराबर माना जाता है। इसे स्थल कोण कला (5000 ८75 10६८ प गत है । सन इस पुस्तक में प्राननिक गणनाओं में स््थूल-काण कलाओं से काम नहीं या हैं बल्कि उन कोणीय मापवाली कलाओ के सान का प्रयोग किया है जो ऊपर पनकाया जा चकों हैं। लक्ष्य के व्यास का कोण स्थिर करने के लिए लक्ष्य के ऊपर और वाल सिरों के बीच में अभिसारी ( (णाएलडटाए ) रेखाएँ खींची जाती हूं 1 पयाना करतवाले की आँख के पास मिलकर एक कोप बनाती हैं । इस कोण की ना कचा हाना है वही लक्ष्य का व्यास है । गोलीवाजी और लक्ष्य सावन में कोगीय माप का प्रकार ग्र टण करने में दो महत्त्वपूर्ण छाभ हे
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